thrombocytopenia,vaccine,covid vaccination,vaccine policy,covid,thrombosis,vaccination,covid-19,disease prevention, AstraZeneca, Covishield, COVID19 Vaccine, Thrombocytopenia Syndrome , admiting in british court, Covishield's Dark Side, AstraZeneca's Covishield Vaccine, AstraZeneca's Vaccine, allegation on court,

AstraZeneca: ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने पहली बार स्वीकार किया है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। ब्रिटिश हाईकोर्ट में अपने अदालती दस्तावेजों में एस्ट्राजेनेका ने पहली बार माना है उसकी कोविड-19 वैक्सीन से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। आपको बता दें कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को कई देशों में कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया ब्रांड नामों के तहत बेचा गया था।

10 करोड़ पाउंड की मुआवजे की मांग

दरअसल, दो बच्चों के पिता जेमी स्कॉट ने पिछले साल कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। वैक्सीन लेने के बाद उनके ब्रेन में खून के थक्के जम गए थे, जिससे वह काम करने में असमर्थ हो गए थे और वह ब्रेन डैमेज का शिकार हो गए। रिपोट्र्स के मुताबिक, ब्रिटेन की हाई कोर्ट में ऐसे 51 मामले दर्ज हैं, जिनमें पीडि़तों और तीमारदारों ने 10 करोड़ पाउंड तक के क्षतिपूर्ति मुआवजे की मांग की है। हालांकि एस्ट्राजेनेका ने इस साल फरवरी महीने में यूके हाईकोर्ट के समक्ष वैक्सीन के साइड इफेक्टस के आरोपों को स्वीकार किया। लेकिन साथ में कंपनी ने वैक्सीन के पक्ष में अपने तर्क भी रखे।

खून के थक्के जमने से लेकर कार्डियक अरेस्ट जैसे इफेक्ट्स

बता दें, शरीर और मस्तिष्क में खून के थक्के जमने (Blood Clot) होती है जिसे थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम कहा जाता है। ये कोविशील्ड के साइड इफेक्ट्स में से एक है। इतना ही नहीं, इन साइड इफेक्ट्स से बॉडी में प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगता है। बॉडी में ब्लड क्लॉट की वजह से ब्रेन स्ट्रोक या कार्डियक अरेस्ट आने की आशंका भी बनी रहती हैं।

एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में रखा अपना पक्ष

एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट के समक्ष दायर लीगल डॉक्यूमेंट में कहा है कि यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर तैयार की गई कोरोना वैक्सीन से साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। ये साइड इफेक्ट्स थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम जैसे हो सकते हैं। लेकिन ये बहुत दुर्लभ हैं। कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाने की स्थिति में भी थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम हो सकता है। ऐसे में ये कहना कि वैक्सीन लगवाने के बाद लोग इस सिंड्रोम से जूझ रहे हैं, सही नहीं है।

कंपनी ने कोर्ट के समक्ष कहा कि एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल और दुनियाभर में इसकी स्वीकार्यता से पता चलता है कि बड़े पैमाने पर टीकाकरण प्रोग्राम से लाभ हुआ है, जो वैक्सीन के संभावित साइड इफेक्ट्स के जोखिम को कम करता है। वही, कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीन की मदद से दुनियाभर में 60 लाख लोगों की जिंदगियां बचाई गई हैं। ऐसे में किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले इन स्टडीज पर गौर करना जरूरी है। साथ ही यह भी कहा कि वैक्सीन लगने के बाद कई तरह की समस्याओं का दावा कर रहे लोगों की स्थिति से वे चिंतित हैं। लेकिन हम अभी भी अपने इस दावे पर कायम हैं कि इसके दुष्प्रभाव अति से अति दुर्लभ मामलों में ही सामने आ सकते हैं।

पहले भी हुआ था विवाद

जब एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन लगनी शुरू हुई थी, तब भी इसके साइड इफेक्ट्स को लेकर विवाद हुआ था। हालांकि तब कंपनी ने कहा था कि ट्रायल के दौरान वैक्सीन के कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स देखने को नहीं मिले। कहा गया था कि वैक्सीन लगने के बाद थकान, गले में दर्द और हल्का बुखार जैसे लक्षण दिखे, लेकिन किसी की मौत या गंभीर बीमारी का मामला सामने नहीं आया।

यह भी पढ़े: Eye Freckle: क्या होते है आई फ्रेकल्स? कहीं इन से कैंसर का खतरा तो नहीं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

बनारस के मंदिरों से क्यों हटाई जा रही हैं साईं बाबा की मूर्ति जानिए क्या होता है Digital Arrest हरियाणा कांग्रेस का किया संकल्प पत्र जारी, 7 वादे करेंगे पूरे पति से तलाक के बाद बेटी की परवरिश के लिए दर-दर भटक रही ये एक्ट्रेस गोविंदा की भांजी आरती सिंह का शादी के 4 महीने बाद होगा तलाक ?