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Bomb Threat: स्कूलों को धमकी देने वाला कौन है? पिछले साल एक जगह 4 स्कूलों को धमकी, फिर कहीं और 48 स्कूलों को धमकी और अब 100 से ज्यादा स्कूलों को धमकी। हर बार धमकी कोरी ही साबित हुई। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर कौन बार-बार स्कूलों को इस तरह की धमकी दे रहा है। क्या है इतने बड़े पैमाने पर धमकी देने का मकसद?

हाल में मिली 150 स्कूलों को उड़ाने की धमकी

दरअसल, दिल्ली में बम से उड़ाने की धमकी का मामला पहले भी सामने आ चुका है। मगर पहले और अब में पैमाने का अंतर है। इतनी बड़ी संख्या में कभी भी स्कूलों को उड़ाने की धमकी नहीं दी गई है। आपको बता दें कि दिल्ली-NCR के 150 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। ये धमकी ईमेल के जरिए दी गई थी। पुलिस ने जब इसकी जांच की तो भेजे गए ईमेल का IP ऐड्रेस रूस का निकला। आमतौर पर कुछ मामलों में ही पुलिस आरोपितों तक पहुंच पाई है। ज्यादातर मामलों में मेल भेजने वाले द्वारा विदेशी सर्वर या डार्क वेब की वजह से पुलिस के लिए ईमेल भेजने वाले को खोज पाना मुश्किल हो जाता है।

क्या है डार्कवेब?

डार्कवेब इंटरनेट का वो हिस्सा है, जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है। इंटरनेट का 96 फीसद हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है। हम इंटरनेट कंटेंट के केवल चार प्रतिशत हिस्से का इस्तेमाल करते है, जिसे सरफेस वेब कहा जाता है। डीप वेब पर मौजूद कंटेंट को एक्सेस करने के लिए पासवर्ड की जरूरत होती है जिसमें ई-मेल, नेटबैंकिंग आते हैं। डार्क वेब को खोलने के लिए टार ब्राउजर का इस्तेमाल किया जाता है। डार्कवेब पर ड्रग्स, हथियार, पासवर्ड, पार्न जैसी प्रतिबंधित चीजें मिलती हैं।

कैसे काम करता है ये डार्कवेब

डार्कवेब ओनियन राउटिंग टेक्नोलॉजी पर काम करता है। यह टेक्नोलॉजी यूजर्स को ट्रैकिंग और सर्विलेंस से बचाती है और उनकी गोपनीयता को सुरक्षित रखने के लिए सैकड़ों जगह रूट और री-रूट करती है। इसे सरल शब्दों में कहें तो, डार्क वेब ढेर सारी आईपी एड्रेस से कनेक्ट और डिस्कनेक्ट होता है, जिससे इसका पता लगाना असंभव हो जाता है। यहां यूजर की जानकारी इंक्रिप्टेड होती है, जिसे डिकोड करना असंभव होता है। डार्क वेब पर लेन-देन के लिए वर्चुअल करेंसी जैसे बिटकॉइन का उपयोग किया जाता है। यह इसलिए होता है क्योंकि लेन-देन की पहचान किए जाने की संभावना नहीं होती।

क्या कहता है कानून

आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 67 के तहत अगर कोई किसी को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से धमकी भरा या अश्लील ईमेल भेजता है, तो उसे तीन साल की जेल और जुर्माना देना पड़ सकता है। इसके अलावा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 के तहत किसी आपदा को लेकर फर्जी और दहशत की खबर फैलाने पर एक साल की सजा और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।

पहले भी आये धमकी भरे ईमेल

इस तरह के मामले पहले भी आ चुके है। जिनमें 12 फरवरी, 2024 को दिल्ली के साकेत के पुष्प विहार इलाके में स्थित एमिटी स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। उस वक्त भी स्कूल प्रबंधन को ईमेल के जरिये स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। वहीं, 2 फरवरी को आरकेपुरम स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। इसमें प्रिंसिपल को एक मेल भेजा गया था।

इतना ही नहीं, पिछले साल 25 अप्रैल को दिल्ली पब्लिक स्कूल की आधिकारिक आईडी पर बम की धमकी भरा ईमेल भेजा गया था। 12 अप्रैल, 2023 को डिफेंस कॉलोनी में स्थित द इंडियन स्कूल को ईमेल से ऐसी ही धमकी मिली थी। इससे पहले 2022 नवंबर में भी स्कूल को एक ईमेल आया था, लेकिन उसका सर्वर जर्मनी से था, इसलिए आगे उसका लिंक स्टैबलिश नहीं हो पाया था।

बम से उड़ाने की धमकी के मामले में दिल्ली-एनसीआर में ही नहीं बल्कि बेंगलुरु में भी ऐसा हो चुका है। 1 दिसम्बर, 2023 को बेंगलुरु के लगभग 48 स्कूलों को धमकी भरा ईमेल मिला था।

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नाबालिग छात्र निकला ईमेल भेजने वाला

आपको बता दें कि 25 अप्रैल, 2023 को दिल्ली पब्लिक स्कूल की आधिकारिक आईडी पर बम की धमकी भरा ईमेल भेजा गया था। जिसमें दावा किया गया कि कैंपस में बम है, जो अगले दिन सुबह 9 बजे एक्टिवेट हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मामले कि जांच में पाया कि इस मेल के लिए रूस के सर्वर का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन आगे की जांच में पता चला कि संदिग्ध दिल्ली में है। हैरान करने वाली बात तो ये थी कि इन सबके के पीछे छात्र था। उसने बचने के लिए अलग-अलग साफ्टवेयर का इस्तेमाल किया। लड़के की पहचान की गई तो पता चला कि 16 साल का था, इसलिए न तो उसे पकड़ा जा सकता था और न ही उसे थाने बुलाया जा सकता था। इसलिए बाद में पुलिस ने छात्र की काउंसलिग कराई।

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