Deoria: उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में खुले में मांस बेचने के विवाद ने तूल पकड़ लिया है। भाजपा विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने देवरिया के जिलाधिकारी को एक गंभीर चिट्ठी लिखकर चेतावनी दी है। विधायक ने कहा है कि अगर सावन महीने की शुरुआत से पहले रेलवे स्टेशन रोड पर चल रहे अवैध बूचड़खानों और खुले में बिक रहे मांस की दुकानों को बंद नहीं कराया गया, तो वह स्वयं इन दुकानों को बंद कराने के लिए मजबूर होंगे। इसके साथ ही, उन्होंने चेताया कि अगर इस दौरान कोई अप्रिय घटना होती है, तो उसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से प्रशासन की होगी।
विधायक की चिट्ठी में उठाए गए मुद्दे
भाजपा विधायक ने डीएम को भेजी चिट्ठी में लिखा है कि अत्यंत निराशा के साथ उन्हें यह पत्र लिखना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बार-बार सूचित करने और टेलीफोन के माध्यम से जानकारी देने के बावजूद, देवरिया रेलवे स्टेशन के पास स्थित दुर्गा मंदिर के आसपास अवैध बूचड़खाने चल रहे हैं और खुले में मांस की बिक्री हो रही है। इससे पूरा इलाका गंदगी और दुर्गंध से भरा हुआ है।
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अवैध बूचड़खानों को तत्काल बंद करने की अपील
विधायक ने बताया कि जब रेल द्वारा जनपद में आने वाले आगंतुक रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते हैं, तो उन्हें खुले में मांस की बिक्री और दुर्गंध के कारण जिले की बेहद खराब छवि का सामना करना पड़ता है। स्थानीय लोग भी इस समस्या से बहुत परेशान हैं। यह स्थिति तब है जब माननीय मुख्यमंत्री स्वयं निर्देश दे चुके हैं कि खुले में मांस की बिक्री पर रोक लगाई जाए और अवैध बूचड़खानों को तत्काल बंद किया जाए।
विधायक ने यह भी याद दिलाया कि कई वर्षों पहले जब मुख्यमंत्री गोरखपुर के सांसद थे, तब उनके नेतृत्व में मंदिर परिसर के आस-पास मांस बिक्री के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन चलाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप मांस की दुकानों को बंद कर दिया गया था। विधायक ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई बार प्रशासन और एडीएम को व्यक्तिगत रूप से सूचित करने के बावजूद इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसा लगता है कि प्रशासन इस मामले में कोई भी प्रभावी कदम उठाने के लिए इच्छुक नहीं है।
क्या है दुकानदारों की प्रतिक्रिया
वहीं, भाजपा विधायक की चिट्ठी के संदर्भ में दुकानदारों ने कहा कि उन्हें पता है कि विधायक ने दुकानों को बंद कराने के लिए पत्र लिखा है, लेकिन उनकी चिंता यह है कि वे कहां जाएंगे। दुकानदारों ने कहा कि अगर प्रशासन उन्हें कहीं वैकल्पिक स्थान प्रदान करे, तो उनकी रोजी-रोटी चलती रहेगी और वे भी कानून का पालन कर सकेंगे। वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनकी आजीविका प्रभावित न हो और उनकी समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द किया जाए।
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