Digital Arrest: लखनऊ से एक बार फिर ऑनलाइन ठगी का मामला सामाने आया है। ये ठगी लखनऊ के डॉक्टर के साथ हुई है। बताया जा रहा है कि KGMU के डॉक्टर को ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर 85 लाख रुपए की ठगी की गई है। दरअसल, एक कॉलर ने जब डॉक्टर को फोन किया तब अपने आप को कस्टम ऑफिसर बताया। कार्गो में फर्जी कागजात के साथ ड्रग्स होने की बात कही। फिर CBI ऑफिसर बनकर जेल भेजने की धमकी दी। डॉक्टर ने 2 घंटे के अंदर 85 लाख रुपए बदमाशों के बताए बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए।
जिसके बाद डॉक्टर की शिकायत पर पुलिस ने सोमवार को आरोपी देवाशीष को गिरफ्तार किया है। अभी तक अलग-अलग बैंक खातों से 6 लाख रुपए फ्रीज कराए गए हैं। 79 लाख रुपए की रकम रिकवर करने के लिए टेक्निकल टीम जुटी हुई है। मामला लखनऊ के इंद्रप्रस्थ अपार्टमेंट का है।
क्या है पुलिस का कहना
पुलिस का कहना है कि जिस बैंक खाते में आरोपी ने पैसे ट्रांसफर काराया था वहां के बैंक मैनेजर को शक हुआ। मैनेजर ने खाता लॉक कर दिया। इसके बाद आरोपी देवाशीष नेट बैंकिंग के सहारे दूसरे खातों में पैसे ट्रांसफर कराया। पुलिस इसी बैंक की डिटेल्स के आधार पर आरोपी तक पहुंची।
कैसे ठग के जाल में फंसती गई डॉक्टर
डॉक्टर ने पुलिस को बताया कि, मेरे पास 15 अप्रैल को फोन आया। फोन पर व्यक्ति ने कहा आपके नाम से एक कार्गो पार्सल बुक है, इसमें आपत्तिजनक सामान है। कॉल के दौरान ही ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर लिया। अलग-अलग खातों में पैसे ट्रांसफर करा लिए। फोन करने वाले ने खुद को कस्टम ऑफिसर बताया था। कहा आपके कार्गो में जाली पासपोर्ट, नकली एटीएम कार्ड तथा 140 ग्राम MDM ड्रग्स है। मैनें घबराकर उनकी बातों पर भरोसा कर लिया। कुछ देर बात कस्टम ऑफिसर बने व्यक्ति ने दूसरे को फोन दिया। दूसरे व्यक्ति अपने आप को सीबीआई ऑफिसर बताया। धमकाते हुए कहा कि यदि आपने सही जानकारी नहीं दी तो आधे घंटे में आपको पुलिस गिरफ्तार कर लेगी। हम उसकी बात मान लिए। वो जैसा कहता हम करते गए। फिर जो बैंक खाता दिया उसमें रुपए ट्रांसफर कर दिए।
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गिरफ्तारी के बाद आरोपी बताया कैसे किया था डिजिटल अरेस्ट
आरोपी से पुछताछ में पता चला कि पहले आरोपी ने डॉक्टर के बारें में सोशल मीडिया से जानकारी निकाली। फिर प्लानिंग करके कॉल किया। बात करना जब शुरू हुआ तो डॉक्टर को 2 घंटे तक कॉल पर रखा। बारी-बारी से 85 लाख रुपए ट्रांसफर कराए।
पुलिस ने बताया कि शिकायत के बाद पहले मोबाइल नंबर ट्रेस किया। आरोपी की लोकेशन गोमती नगर विस्तार सेक्टर-6 सुलभ आवास की मिली। यहां से देवाशीष राय पुत्र अशोक राय को गिरफ्तार किया। देवाशीष एमसीए कर चुका है। वह मूलरुप से आजमगढ़ के मसौना का रहने वाला है।
क्या होता है डिजिटल अरेस्ट?
कानूनी तौर पर डिजिटल अरेस्ट नाम का कोई शब्द एक्जिस्ट नहीं करता। यह एक फ्रॉड करने का तरीका है। जो साइबर ठग अपनाते है। इसका सीधा मतलब होता है ब्लैकमेलिंग से यानी इसके जरिए ठग अपने टारगेट को ब्लैकमेल करता है। डिजिटल अरेस्ट में कोई आपको वीडियो कॉलिंग के जरिए घर में बंधक बना लेता है। वह आप पर हर वक्त नजर रख रहा होता है। डिजिटल अरेस्ट के मामलों में ठग कोई सरकारी एजेंसी के अफसर या पुलिस अफसर बनाकर आपको वीडियो कॉल करते हैं। वह आपको कहते हैं कि आपका आधार कार्ड सिम कार्ड या बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किसी गैरकानूनी गतिविधि के लिए हुआ है।
कैसे बच सकते हैं इससे?
सामान्य तौर पर पुलिस या कोई भी जांच एजेंसी आपको कॉल करके धमकी नहीं देगी। इसके लिए कानूनी प्रक्रिया होती है और उसी के तहत उसे पूरा किया जाता है। तो अगर आपको कोई डराने या धमकाने का ऐसा कॉल आता है। तो तुरंत आप उसकी सूचना पुलिस को दे दें। अगर कोई आपको किसी खास एजेंसी जैसे सीबीआई या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का अधिकारी बात कर बात कर रहा है। तो आप उस एजेंसी के नंबर पर कॉल करके इस बात की जानकारी दे सकते हैं और उनसे मदद मांग सकते हैं।
और सबसे जरूरी बात जब कोई आपको कॉल पर आपसे पैसों के लेनदेन की बात करें तो आप बिल्कुल भी ना करें। अपनी निजी जानकारी बिल्कुल भी शेयर ना करें। अगर इसके बावजूद आपके साथ साइबर फ्रॉड हो जाता है तो आप 1930 नेशनल साइबरक्राइम हेल्पलाइन पर कॉल करके तुरंत इस बात की शिकायत दर्ज कराएं।
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