Election Kushinagar

Election Kushinagar: 8 उम्मीदवारों का नामांकन खारिच, जानें कैसे होता है पर्चा रद्दकुशीनगर लोकसभा सीट से दाखिल नामांकन पत्रों की जांच कलक्ट्रेट में बुधवार को सामान्य प्रेक्षक दीपांकर चौधरी और रिटर्निंग अफसर उमेश मिश्र की मौजूदगी में हुई। इसमें आठ उम्मीदवारों का पर्चा विभिन्न त्रुटियों और कमियों के कारण खारिज कर दिया गया। जबकि दस प्रत्याशियों के नामांकन पत्र सही मिले। प्रत्याशियों और उनके सहयोगियों की मौजूदगी में नामांकन पत्रों की जांच प्रक्रिया पूरी की गई।

जांच में हुए नामांकन खारिज

कलक्ट्रेट परिसर में स्थित जिला मजिस्ट्रेट कक्ष में 15 मई को नामांकन पत्र की जांच की जा रही थी। इस दौरान दलीय और निर्दलीय प्रत्याशियों के नामांकन प्रपत्रों की भी जांच की गई। इनमें 10 प्रत्याशियों के नामांकन वैध पाए गए। वही, 8 नामांकन प्रपत्र विभिन्न कमियों के चलते खारिज कर दिए गए। प्रेक्षक दीपांकर चौधरी व जिला निर्वाचन अधिकारी उमेश मिश्रा की मौजूदगी में भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार सभी नामांकन पत्रों की जांच की गई। इस दौरान कलेक्ट्रेट पर पुलिस बल तैनात रहा। आयोग के निर्देश के क्रम में 17 मई को नाम वापसी के साथ चुनाव चिह्नों का आवंटन किया जाएगा। इसके बाद चुनावी रणभूमि में मौजूद प्रत्याशियों की स्थिति साफ हो सकेगी।

क्यों और कैसे होता है नामांकन खारिज

निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा उम्मीदवार के नामांकन को क्यों और कैसे खारिज किया जाता है, यहां कुछ कारणों में विस्तार से दिया गया है:

  • नामांकन अयोग्यता: उम्मीदवार को चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित अयोग्यता मानदंडों के अनुसार पूरा करना आवश्यक होता है। उम्मीदवार को न्यायालय द्वारा दोषी ठहराया जाना, उसके द्वारा किसी अपराध के किए जाने या किसी निर्वाचन आयोग द्वारा अयोग्य माने जाने पर उम्मीदवार का नामांकन खारिज किया जाता है।
  • नियमों और निर्देशों का उल्लंघन: उम्मीदवार के नामांकन में कोई नियमों या निर्देशों का उल्लंघन होने पर भी नामांकन खारिज किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि उम्मीदवार अपेक्षित दस्तावेज़ या शर्तों को पूरा नहीं करता है, तो उसका नामांकन रद्द किया जा सकता है।
  • अयोग्य या गलत जानकारी: उम्मीदवार द्वारा जारी किए गए नामांकन फार्म में गलत या अपर्याप्त जानकारी प्रस्तुत करने के कारण भी नामांकन खारिज किया जा सकता है।
  • चुनावी प्रक्रिया की भाषा का अल्पसंख्यकों के प्रति आपत्ति: उम्मीदवार के द्वारा प्रस्तुत किए गए नामांकन फार्म या किसी अन्य संबंधित दस्तावेज़ में किसी भाषा का अपशब्द या अपमानजनक अभिव्यक्ति के कारण भी नामांकन खारिज किया जा सकता है।

इन लोगों का पर्चा रद्द

दरअसल, पर्चे वैद्य पाने वाले लोगों में भारतीय जनता पार्टी के विजय दूबे, समाजवादी पार्टी से अजय प्रताप, बहुजन समाज पार्टी से शुभ नरायण चौहान, राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी से स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा रामचंद्र सिंह, सुनील कुमार शुक्ला, हरिकेश, वेदप्रकाश, उत्कृष्ट मौर्य, अमीय उपाध्याय शामिल है। वहीं, दलीय व निर्दलीय प्रत्याशी उम्मीदवारों ने भी अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था। इसमें अपना दल युनाइटेड से अमीरुद्दीन, आल इण्डिया फारवर्ड ब्लाक से राजू पटेल के साथ साथ अतुल निषाद, श्याम बिहारी, उमेश, शिवकुमार, मोसाहेब, प्रियेश ने निर्दल उम्मीदवार के रूप में अपनी उम्मीदवारी जताई थी, लेकिन सभी के नामांकन पत्र अपूर्ण, अनिवार्य प्रपत्रों व हस्ताक्षर के अभाव सहित अन्य कमियों के कारण खारिज कर दिए गए।

नामांकन कैसे वापस लिया जाता है

  1. अपील करें: यदि उम्मीदवार का नामांकन रद्द किया गया है, तो उन्हें अपील करने का अधिकार होता है। वे अपील कर सकते हैं और अपील अदालत में अपनी प्रतियादित्म कर सकते हैं।
  2. न्यायिक संविधान के अंतर्गत कानूनी कदम: अगर उम्मीदवार को लगता है कि उनका नामांकन गलती से रद्द किया गया है या उन्हें अनुचित तरीके से बाहर किया गया है, तो वे न्यायिक संविधान के अंतर्गत कानूनी कदम उठा सकते हैं। इसके लिए वे उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं।
  3. आधिकारिक प्रक्रिया का पुनर्विचार: उम्मीदवार को अधिकारिक प्रक्रिया के तहत उनके नामांकन को पुनः विचार के लिए निर्वाचन आयोग से संपर्क करना चाहिए। इसके लिए उन्हें आवश्यक दस्तावेज़ और प्रमाण प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी।
  4. नामांकन की स्थिति की निर्धारण: अधिकारिक प्रक्रिया के बाद, निर्वाचन आयोग फिर से उम्मीदवार के नामांकन की स्थिति को दोबारा जांचेगा और उसका निर्णय देगा। अगर सभी आवश्यक शर्तें पूरी होती हैं और कोई अयोग्यता नहीं होती है, तो उम्मीदवार का नामांकन पुनः स्वीकृत हो सकता है।

इन प्रक्रियाओं के माध्यम से एक उम्मीदवार अपने नामांकन को पुनः वापस ले सकता है, अगर उन्हें लगता है कि उनका नामांकन गलती से रद्द किया गया है या उन्हें न्यायाधीशों या निर्वाचन आयोग के निर्णय के खिलाफ अपील करने का अधिकार है।

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