Election Updates: 2024 लोकसभा चुनाव के छठे चरण में शनिवार (25 मई) को 7 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश की 58 सीटों पर मतदान होगा। वहीं, जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी सीट पर तीसरे चरण में चुनाव होना था, लेकिन अब यहां छठे चरण में वोटिंग हो रही है। इस चरण में 3 केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, कृष्ण पाल सिंह गुर्जर और राव इंद्रजीत सिंह मैदान में हैं। 3 पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, मनोहर लाल खट्टर और जगदंबिका पाल भी चुनाव लड़ रहे हैं। इनके अलावा मनोज तिवारी, मेनका गांधी, नवीन जिंदल, बांसुरी स्वराज, संबित पात्रा, राज बब्बर और निरहुआ भी चुनावी मैदान में हैं।
छठे चरण में 889 उम्मीदवार आमने-सामने
चुनाव आयोग के अनुसार, छठे चरण में 889 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, जिनमें 797 पुरुष और 92 महिला उम्मीदवार हैं। सबसे अमीर प्रत्याशी हरियाणा के कुरुक्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार नवीन जिंदल हैं, जिनके पास 1241 करोड़ रुपए की संपत्ति है। इस चरण में 183 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से 141 पर गंभीर अपराधों के आरोप हैं। 39% उम्मीदवार करोड़पति हैं, जिनमें भाजपा के 48, कांग्रेस के 20 और आम आदमी पार्टी के 4 उम्मीदवार शामिल हैं। छठे चरण के बाद 487 सीटों पर मतदान पूरा हो जाएगा। आखिरी और सातवें चरण में 56 सीटों पर वोटिंग होगी।वहीं, छठे चरण में इन सीटों पर सबकी नजर बनी हुई है।
छठे चरण में कहां-कहां मतदान
2024 लोकसभा चुनाव: छठे चरण के उम्मीदवार और सीटें
राज्य | सीट |
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बिहार | पूर्वी चंपारण |
शिवहर | |
गोपालगंज | |
सीवान | |
वाल्मीकिनगर | |
पश्चिम चंपारण | |
मधुबनी | |
मुजफ्फरपुर | |
हरियाणा | अंबाला |
कुरुक्षेत्र | |
सिरसा | |
हिसार | |
भिवानी-महेंद्रगढ़ | |
गुरुग्राम | |
फरीदाबाद | |
रोहतक | |
सोनीपत | |
करनाल | |
झारखंड | गिरिडीह |
धनबाद | |
जमशेदपुर | |
सिंहभूम (चाईबासा) | |
ओडिशा | कंधमाल |
बालासोर | |
कटक | |
जाजपुर | |
केन्द्रापाड़ा | |
भद्रक | |
उत्तर प्रदेश | सुल्तानपुर |
फैजाबाद | |
अंबेडकर नगर | |
श्रावस्ती | |
गोंडा | |
कैसरगंज | |
बहराइच | |
सीतापुर | |
धौरहरा | |
लखीमपुर खीरी | |
उन्नाव | |
मोहनलालगंज | |
लखनऊ | |
रायबरेली | |
पश्चिम बंगाल | तामलुक |
कांथी | |
घाटाल | |
झारग्राम | |
मेचदा | |
कांथी उत्तर | |
महिसादल | |
दीघा | |
दिल्ली | चांदनी चौक |
उत्तर-पूर्वी दिल्ली | |
पूर्वी दिल्ली | |
नई दिल्ली | |
पश्चिम दिल्ली | |
दक्षिण दिल्ली | |
उत्तर-पश्चिम दिल्ली | |
जम्मू और कश्मीर | अनंतनाग-राजौरी |
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छठे चरण के प्रमुख उम्मीदवारों और उनकी सीटें
नई दिल्ली
दिवंगत नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं, 15 साल का अनुभव रखती हैं। खुद पीएम मोदी ने उनके नाम का सुझाव दिया था। उनका सामना आम आदमी पार्टी के तीन बार विधायक रह चुके सोमनाथ भारती से है, जो पेशे से वकील हैं।
नॉर्थ दिल्ली
बीजेपी और कांग्रेस के बीच नॉर्थ दिल्ली में सीधा मुकाबला है, लेकिन दो बार के सांसद मनोज तिवारी का पलड़ा भारी है। कन्हैया कुमार इससे पहले 2019 का चुनाव हार चुके हैं। तब उन्होंने बेगूसराय से सीपीआई की टिकट पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, इसके बाद कन्हैया कांग्रेस से जुड़ गए। कन्हैया पर देश विरोधी नारों की छाप लगी है।
सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश
सुल्तानपुर सीट पर जातीय समीकरण चुनाव पलट सकते हैं। पिछले दोनों चुनावों में बीजेपी ने यहां जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार निषाद और कुर्मी वोट काटने के लिए सपा-बसपा ने अपने प्रत्याशी इन दोनों समुदायों के ही उतारे हैं। इससे बीजेपी की लय बिगड़ने के आसार हैं। हालांकि, आठ बार सांसद रह चुकी मेनका गांधी जातीय समीकरण को काटने का माद्दा रखती हैं।
आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
आजमगढ़ सीट पर निरहुआ और धर्मेंद्र यादव दूसरी बार आमने-सामने हैं। 2022 के बाइपोल में मिली जीत से निरहुआ का आत्मविश्वास ऊँचा है, लेकिन गुड्डू जमाली के सपा में जाने से निरहुआ की राह मुश्किल हो सकती है। उधर, अखिलेश यादव के भाई धर्मेंद्र को सपा के साथ इंडी गठबंधन का भी समर्थन मिल रहा है। आजमगढ़ में सपा के लिए नाक बचाने की लड़ाई है। परिवार की सीट को वापस पाने के लिए पूरा यादव कुनबा सक्रिय है।
कुरुक्षेत्र, हरियाणा
दस साल के ब्रेक के बाद दूसरी पारी की शुरुआत कर रहे नवीन जिंदल के लिए इस सीट पर बीजेपी को जीत दिलाना बड़ी चुनौती है। नवीन का मुकाबला आम आदमी पार्टी के सुशील गुप्ता और इनेलो के अभय सिंह चौटाला से है। कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए जिंदल की जीत के साथ पार्टी यहां जीत की हैट्रिक लगा सकती है।
गुड़गांव, हरियाणा
पंजाबी और मुस्लिम बहुल गुड़गांव में इस बार कांग्रेस और बीजेपी में सीधी टक्कर है। एक तरफ राज बब्बर का स्टारडम है, तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी को गुटबाजी से नुकसान का डर है। 2019 के चुनाव में राव इंद्रजीत ने कांग्रेस के कैप्टन अजय सिंह को 4.95 लाख वोटों से हराया था। लेकिन तीन बार के सांसद के सामने कांग्रेस के अलावा जेजेपी के राहुल यादव भी हैं।
करनाल, हरियाणा
चुनाव से ठीक पहले, सीएम चेहरा बदलने से भी विपक्ष को आक्रामक होने का मौका मिल गया। दिव्यांशु का यह पहला ही चुनाव है, लेकिन उन्हें नेताओं की गुटबाजी से जूझना पड़ रहा है। पिछली बार भाजपा सांसदों के विनिंग मार्जिन के लिहाज से करनाल सीट देश में दूसरे नंबर पर रही थी। बीजेपी ने यहां छह लाख वोटों से ज्यादा से जीत दर्ज की थी।
अनंतनाग-राजौरी, जम्मू कश्मीर
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार लोकसभा चुनाव हो रहे हैं। अनंतनाग-राजौरी सीट पर पहले तीसरे फेज में वोटिंग होनी थी, लेकिन बाद में इसे छठे फेज के लिए शेड्यूल कर दिया गया। इस बार पीडीपी चीफ और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती की साख दांव पर है। हालांकि, यहां महबूबा से ज्यादा मियां अल्ताफ का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।
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संबलपुर, ओडिशा
ओडिशा की संबलपुर लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मैदान में हैं। कांग्रेस ने नागेंद्र कुमार प्रधान और बीजू जनता दल ने प्रणब प्रकाश दास को टिकट दिया है। यह सीट पिछले तीन चुनावों से हर बार दूसरी पार्टी ने जीती है। 2019 के बीजेपी के नितेश गंगा देब ने जीत हासिल की थी। बीजेडी उम्मीदवार नलिनी कांता प्रधान 9162 वोटों से हार गए थे।
पुरी, ओडिशा
पुरी सीट को बीजू जनता दल का गढ़ माना जाता है। नेशनल पॉलिटिकल सेलेब्रिटी के तौर पर मशहूर संबित पात्रा और आईपीएस रहे अरूप मोहन की इस सीट पर टक्कर दिलचस्प होगी। हालांकि भगवान जगन्नाथ को लेकर की टिप्पणी से संबित पात्रा की माइनस मार्किंग हो गई है। संबित 2019 में भी मात्र 11 हजार वोटों से यह सीट हार गए थे।
सिवान, बिहार
सिवान में हिना शहाब के निर्दलीय चुनाव लड़ने से मुकाबला तीन तरफा हो गया है। वे पिछले तीन चुनाव हार चुकी हैं, लेकिन पति शहाबुद्दीन की मौत के बाद यह पहला चुनाव होगा। जेडीयू ने लक्ष्मी कुशवाहा को टिकट दिया है। आरजेडी हिना से किनारा करके तीन बार के विधायक अवध बिहारी को मैदान में लाई है।
तामलुक, पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में ममता सरकार की केंद्र सरकार से लगातार हर मुद्दे पर जंग देखने मिली है। चुनावी मैदान में भी यही नजारा है। कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जज के खिलाफ टीएमसी ने एक युवा चेहरे को टिकट दिया है। यही सीट अधिकारी बंधुओं के वर्चस्व के लिए भी जानी जाती है। यहां टीएमसी और बीजेपी दोनों के लिए जीतना बेहद अहम है।