Heart Attack

Heart Attack: छोटे बच्चों और युवाओं में हार्ट अटैक का मामला आमतौर पर दुर्लभ होता है, लेकिन यह पूरी तरह से असंभव नहीं है। इस आयु वर्ग में हार्ट अटैक के मामलों की बढ़ती रिपोर्ट्स ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों और परिवारों को गंभीरता से चिंतित कर दिया है। जब हम हार्ट अटैक की बात करते हैं, तो यह आमतौर पर वृद्ध लोगों से जुड़ा हुआ माना जाता है, लेकिन अब इसके कई कारण सामने आ रहे हैं जो युवा और छोटे बच्चों को भी प्रभावित कर सकते हैं।

चिकित्सा लापरवाही और जीवनशैली से पड़ा है प्रभाव

चिकित्सा लापरवाही और अस्वस्थ जीवनशैली दोनों ही छोटे बच्चों और युवाओं में हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। चिकित्सा लापरवाही में गलत इलाज, असामयिक निदान, और अनुचित चिकित्सा प्रथाओं का समावेश होता है। उदाहरण के लिए, बिना उचित प्रशिक्षण के किसी झोलाछाप डॉक्टर द्वारा दिया गया गलत इलाज, जैसे कि गलत इंजेक्शन, बच्चे की स्थिति को और भी गंभीर बना सकता है। दूसरी ओर, जीवनशैली संबंधी कारक, जैसे असंतुलित आहार, शारीरिक गतिविधियों की कमी, और मानसिक तनाव, भी हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

इन दोनों कारणों के आपसी संबंध को समझना महत्वपूर्ण है। यदि चिकित्सा लापरवाही से बच्चा पहले से ही कमजोर स्थिति में होता है, तो जीवनशैली संबंधी कारक जैसे अस्वस्थ आहार या अत्यधिक तनाव उसकी स्थिति को और भी खराब कर सकते हैं। इस प्रकार, हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, समय पर निदान, सही इलाज और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना आवश्यक है ताकि हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखा जा सके और संभावित खतरों से बचा जा सके।

हाल ही में, अयोध्या के 6 साल के बच्चे को हार्ट अटैक आने की खबर आई थी। जिसमें कहा गया था कि ये किसी झोलाछाप डॉक्टर के गलत इंजेक्शन के कारण हुआ था।

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लक्षण और कारण

लक्षण:

  • सीने में दर्द या दबाव: बच्चे या युवा के सीने में दर्द, दबाव या असहजता महसूस होना।
  • सांस लेने में कठिनाई: अचानक सांस लेने में कठिनाई या घबराहट।
  • थकान: बिना किसी कारण के अत्यधिक थकान या कमजोरी।
  • बेहोशी या चक्कर आना: अचानक बेहोशी या चक्कर आना।

कारण:

  • हृदय की संरचनात्मक समस्याएँ: जन्मजात हृदय रोग या हृदय की अन्य संरचनात्मक समस्याएँ।
  • हृदय की धमनियों में समस्या: हृदय की धमनियों में रक्त का थक्का जमना या अन्य समस्याएँ।
  • अनुवांशिक विकार: कुछ आनुवांशिक विकार जो हृदय को प्रभावित कर सकते हैं।

जानें उपचार

  1. चिकित्सकीय उपचार: डॉक्टर द्वारा हृदय की स्थिति के आधार पर दवाएं, सर्जरी या अन्य चिकित्सा विधियाँ अपनाई जाती हैं।
  2. स्वस्थ जीवनशैली अपनाना: संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं।
  3. प्रारंभिक निदान: हृदय संबंधी समस्याओं की समय पर पहचान और उपचार से गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है।

छोटे बच्चों और युवाओं में हार्ट अटैक के मामलों में चिकित्सा लापरवाही और जीवनशैली दोनों ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सही समय पर निदान और उपचार, साथ ही स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है।

नोट: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने डॉक्टर से परामर्श लें। “सच्चाई भारत की” इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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