Heart Transplant: दो देशों के बीच संबंधों में राजनीतिक और सामाजिक दरारें होने के बावजूद, भारत और पाकिस्तान के बीच इंसानियत के संदेश की एक अद्वितीय तस्वीर सामने आई है। चेन्नई में एक भारतीय लड़के के दिल से किया गया एक हृदय प्रेम का दान ने कराची की एक युवा पाकिस्तानी लड़की को नया जीवन दिया। इस साहसिक कदम ने न केवल दो जिंदगीओं को जोड़ा, बल्कि दोनों देशों के बीच अद्वितीय संबंध की मिसाल पेश की।
2014 से भारत में चल रहा था इलाज
बता दें, पाकिस्तान की आयशा रशन (19) पिछले 10 साल से हार्ट की बीमारी से पीड़ित थीं। जो कि साल 2014 में इलाज के लिए भारत आई थीं। डॉक्टरों ने पेस मेकर लगाकर उन्हें कुछ समय के लिए राहत दी, लेकिन उन्हें फिर परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसके बाद डॉक्टरों ने उसके परिवार को हार्ट ट्रांसप्लांट की सलाह दी। जिसके बाद तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में एक भारतीय लड़के का दिल पाकिस्तानी लड़की में ट्रांसप्लांट किया गया है। कराची की रहने वाली आयशा रशन बीते दिनों सिवियर हार्ट डिस्फंक्शन की वजह से एमजीएम हेल्थकेयर में भर्ती कराया गया था। यहां डॉक्टरों ने उसका हार्ट ट्रांसप्लांट किया। इस तरह एक भारतीय नागरिक के दिल से आयशा को नई जिदंगी मिली। खास बात ये है कि ट्रस्ट की मदद से ये हार्ट ट्रांसप्लांट पूरी तरह से फ्री में किया गया। डॉक्टरों के मुताबिक, आयशा की हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। वह जल्द कराची लौट जाएगी।
फ्री में हुई सर्जरी
डॉक्टरों के मुताबिक, आयशा रशन का हार्ट फेल होने के बाद उसे ECMO में रखा गया था। ये जानलेवा बीमारी या गंभीर रूप से घायल लोगों के लिए एक लाइफ सपोर्ट सिस्टम का काम करता है। ये मरीज के दिल और फेफड़ों के काम पर असर डालता है। डॉक्टर बताते हैं कि आयशा के हार्ट वॉल्व में लीकेज हो गया था, जिसके चलते उसे एक्स्ट्रा कार्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन सिस्टम पर रखा गया था। और जिस वजह से उसे ट्रांसप्लांट करना भी जरूरी था। पिछले 6 महीने पहले हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए एक डोनर मिला। जिसके बाद परिवार के लोगों की उम्मीद जगी।
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परिवार के लोगों का कहना था कि आयशा के हार्ट प्लांट को बदलने के लिए करीब 35 लाख रुपए की जरूरत थी। मगर, उनके पास पैसों की आर्थिक तंगी थी। इसलिए चेन्नई स्थित एमजीएम हेल्थकेयर हॉस्पिटल में तैनात इंस्टीट्यूट ऑफ हार्टएंड लंग ट्रां सप्लांट के डायरेक्टर डॉ. केआर बालाकृष्णन और को-डायरेक्टर डॉ. सुरेश राव ने फ्री में सर्जरी करने की पेशकश की।
ट्रांसप्लांट नीति बेहतर करने की अपील
डॉक्टरों ने सरकार से एक बेहतर नीति की अपील की, क्योंकि उनका कहना है कि ट्रांसप्लांट सर्जरी पर होने वाले भारी खर्चे के कारण दान में आए कई अंगों का इस्तेमाल ही नहीं हो पाता। बता दें कि केंद्र सरकार ने इस हफ्ते सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को ट्रांसप्लांट के संभावित नियमों के उल्लंघनों की जांच करने और कार्रवाई करने के लिए कहा है।
परिवार में जगी आशा की किरण
इस दौरान आय़शा ने कहा कि “मैं दिल पाकर बहुत खुश हूं। मैं इसके लिए भारत सरकार को यहां के डॉक्टरों को शुक्रिया कहती हूं।” जबकि, आयशा की मां ने बताया कि जब आयशा को भारत लाया गया तो उसके जिंदा बचने के चांस महज 10% थे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से बेहतर इलाज की सुविधाएं भारत में हैं। वहीं, डॉ. केआर बालाकृष्णन ने कहा कि आयशा मेरी बेटी की तरह है। वैसे भी हमारे लिए हर जिंदगी मायने रखती है।
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