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International Labour Day: मई की शुरूआत के दिन दुनियाभर में एक महत्त्वपूर्ण दिन मनाया जा रहा है। जिससे न सिर्फ काम करने वाले लोगों को बल्कि मजदूरों के योगदान का संदेश दिया जाता है। आज दुनियाभर में मजदूर दिवस मनाया जा रहा है। मजदूर दिवस का काफी महत्व है जो मजदूरों के अधिकारों, सम्मान और महत्व को सामाजिक रूप से पुनर्विचार करता है। यह दिन मजदूरों की महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देता है और उनके जीवन में सुधार लाने की दिशा में प्रेरित करता है।

श्रमिकों का दिन

इस दिन श्रमिकों के लिए एक दिन समर्पित करने का बड़ा कारण है। मजदूर दिवस मनाने का महत्व विभिन्न देशों में अलग-अलग हो सकता है लेकिन यह एक संदेश देता है कि मजदूरों का योगदान समाज में महत्वपूर्ण है और उन्हें सम्मान व न्याय मिलना चाहिए। मजदूर समाज की आधारभूत ढांचे को सुनिश्चित करते हैं। वे श्रम करके उत्पादन का संचालन करते हैं, जिससे सामाजिक और आर्थिक विकास संभव होता है। श्रमिकों का समाज में योगदान न केवल आर्थिक रूप से है, बल्कि उनके अधिकारों और सामाजिक स्थिति के मामले में भी महत्वपूर्ण है। श्रमिकों के सम्मान के साथ ही उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाने के उद्देश्य से इस दिन को मनाए जाने की शुरुआत हुई।

मजदूर दिवस का इतिहास

मजदूर दिवस की महत्वपूर्ण घटना 1 मई 1886 को हुई थी, जिसमें मजदूरों ने अपने हक के लिए आवाज उठाते हुए हड़ताल शुरू की। आंदोलन की वजह मजदूरों की कार्य अवधि थी। उन दिनों मजदूर एक दिन में 15-15 घंटे कार्य करते थे। आंदोलन के दौरान पुलिस में मजदूरों पर गोलियां चलाईं, जिसमें कई श्रमिकों की जान चली गई और कई घायल हो गए।

घटना के तीन साल बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें तय किया गया कि हर मजदूर की प्रतिदिन का कार्य अवधि 8 घंटे ही होगी। वहीं एक मई को मजदूर दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया। बाद में अमेरिकी मजदूरों की तरह ही दूसरे देशों में भी श्रमिकों के लिए 8 घंटे काम करने का नियम लागू कर दिया गया। इसके पीछे वेस्ट कोस्ट में हुए हजारों मजदूरों की हड़ताल ने इस मांग को और भी मजबूती दी। इस दिन को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था।

भारत में मजदूर दिवस

भारत में भी, मजदूरों के अधिकारों की लड़ाई में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मजदूरों की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। समाज में उनके सम्मान और अधिकारों की सुनिश्चित करने के लिए, मजदूर दिवस को भारत में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

1 मई 1889 में अमेरिका के मजदूर दिवस मनाने के प्रस्ताव के 34 साल बाद भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत हुई। देश में मजदूर अत्याचार और शोषण के खिलाफ आवाज उठी तो 1 मई 1923 में पहली बार चेन्नई में मजदूर दिवस मनाया गया। लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में मजदूर दिवस मनाने का ऐलान किया गया। 

इस दिन को याद करके हम आपसी सहयोग, उत्थान, और समानता की दिशा में कदम बढ़ाने का संकल्प लेते हैं, ताकि समाज के सभी वर्गों के लोगों को न्याय मिल सके।

क्या है इस साल का थीम

हर साल मजदूर दिवस की एक विशेष थीम निर्धारित होती है। मजदूर दिवस 2023 की थीम ‘सकारात्मक सुरक्षा और हेल्थ कल्चर के निर्माण के लिए मिलकर कार्य करना।  इस वर्ष मजदूर दिवस 2024 का फोकस जलवायु परिवर्तन के बीच कार्यस्थल सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने पर है।

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