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Jagannath Rath Yatra: दो दिन रथ खींचेंगे भक्‍त, 8 को गुंडिचा मंदिर पहुंचने का दिन

Jagannath Rath Yatra

Jagannath Rath Yatra: पूरे साल जगन्नाथ यात्रा का इंतजार करने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक जरूरी खबर आ रही है। इस बार पुरी जगन्नाथ धाम में एक दिन नहीं बल्कि दो दिन तक महाप्रभु के रथ खींचने का अवसर मिलेगा। जगन्नाथ मंदिर का पंचांग बनाने वाले ज्योतिषी डॉ. ज्योति प्रसाद का कहना है कि इस साल आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष में तिथियां घट गई। जिसके चलते रथयात्रा से पहले होने वाली पूजा परंपराएं 7 जुलाई की शाम तक चलेंगी। खास बात है कि ऐसा 53 वर्षों के बाद हो रहा है। पिछली बार दो दिन की रथ यात्रा 1971 में किया गया था। भक्त तब महाप्रभु के नवयौवन वेश का दर्शन नहीं कर पाए थे।

क्यों होगी इस बार दो दिन की यात्रा

बता दें कि मंदिर पुजारी के मुताबिक, 7 जुलाई को दिनभर पूजा परंपराएं चलेंगी और शाम को 4 बजे के आसपास रथयात्रा शुरू होने की संभावना है। सूर्यास्त के बाद रथ नहीं हांके जाते हैं, इसलिए रथ रास्ते में ही रोके दिए जाएंगे। 8 जुलाई को सुबह जल्दी रथ चलना शुरू होंगे और इसी दिन गुंडिचा मंदिर पहुंच जाएंगे। इस बार कृष्ण पक्ष में तिथियां घटने से ऐसा हो रहा है। रथयात्रा की तिथि में बदलाव नहीं किया जा सकता। इसलिए सुबह शुरू होने वाली रथयात्रा शाम को शुरू होगी।

15 दिन तक बीमार रहते है भगवान

दरअसल, हर साल जेठ महीने की पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ को स्नान करवाया जाता है। आमतौर पर स्नान पूर्णिमा के दिन 108 घड़ा सुगंधित जल से स्नान करने के बाद प्रभु 15 दिन के लिए बीमार हो जाते हैं। साथ हीं, आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष के 15 दिनों तक उनके दर्शन नहीं होते। 16वें दिन भगवान का श्रृंगार किया जाता है और नवयौवन के दर्शन होते हैं।

हालांकि इस बार पुरी जगन्नाथ मंदिर पांचांग के अनुसार महाप्रभु की अणवसर अवधि एक दिन कम यानी 13 दिनों की हुई है।इस वजह से नेत्रोत्सव, नवयौवन वेश और रथ यात्रा एक ही दिन होंगे। अब 7 जुलाई को भगवान जगन्नाथ के नवयौवन श्रृंगार के दर्शन होंगे। इसके साथ नैत्रोत्सव भी होगा। वहीं, रथयात्रा की तिथि में बदलाव नहीं किये जा सकता, इसलिए श्रृंगार और नैत्रोत्सव के बाद रथयात्रा से जुड़ी पूजा शुरू होगी। इन विधियों के चलते देरी होने से सूर्यास्त के पहले ही भगवान को रथों पर स्थापित कर रथों को खींचा जाएगा।

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भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा भी पड़ते है बीमार

जगन्नाथ भगवान और उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को इस दौरान बीमारी का संक्रमण होता है, जिसके कारण वे 15 दिन तक बीमार रहते हैं और इस प्रकार की अवधि में ‘अनावृत्ति’ या ‘आनंद-व्रत’ के लिए अवकाश दिया जाता है। यह विशेषकर रथ यात्रा के समय में होता है, जब वे अपने मंदिर से बाहर निकलकर अपने भक्तों से मिलते हैं।

इतना ही नहीं, हर साल की तरह आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की दूसरी तिथि को भगवान जगन्नाथ, अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर मुख्य मंदिर से 3 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर तक जाएंगे। भगवान अगले 7 दिनों तक इसी मंदिर में रहते हैं। आठवें दिन यानी दशमी तिथि को तीनों रथ मुख्य मंदिर के लिए लौटते हैं। भगवान की मंदिर वापसी वाली यात्रा को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है।

दो दिन तक होगी सरकारी छुट्टी

इस खास मौके पर ओडिशा सरकार ने दो दिनों के लिए सरकारी छुट्टी का ऐलान किया है। इस बात कि जानकारी मंगलवार को पुरी में आयोजित समीक्षा बैठक में सीएम मोहन चरण माझी ने दी। उन्होंने ऐलान कि 7 और 8 जुलाई को सरकारी दफ्तर, स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे।

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