Jaipur: जयपुर के रेणवाल स्थित भैंसलाना गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना घटित हुई, जहां 45 वर्षीय शिक्षक मन्नाराम जाखड़ की भजन संध्या के दौरान अचानक मौत हो गई। यह घटना उनके बड़े भाई के रिटायरमेंट पर आयोजित भजन संध्या कार्यक्रम के दौरान हुई, जिसने पूरे परिवार और गांव को हिला कर रख दिया।
शुक्रवार रात को जालबाली बालाजी मंदिर में बड़े भाई मंगल जाखड़ के सेवानिवृत्त होने के अवसर पर भजन संध्या का आयोजन किया गया था। मन्नाराम जाखड़, जो जोधपुर जिले के जुड़ गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल में सामाजिक विज्ञान के शिक्षक थे, इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शुक्रवार सुबह ही अपने पैतृक गांव भैंसलाना पहुंचे थे।
कार्यक्रम के दौरान, मन्नाराम जाखड़ ने भजन संध्या के भक्तिमय वातावरण में खुद को रोक नहीं पाया और पहले चार-पांच भजनों पर खुशी से नाचते रहे। उनके साथ उनके परिवार और अन्य मेहमान भी आनंदित थे।
अचानक घटित हुआ दर्दनाक हादसा
रात लगभग 12 बजे, जब गायकों ने ‘इक दिन मर जाऊं ला कानूड़ा, ध्हारी मुस्कान के मारे…’ भजन गाना शुरू किया, तो मन्नाराम फिर से नाचने लगे। लेकिन कुछ ही क्षणों में, अचानक वे लड़खड़ाकर गिर पड़े। शुरू में लोगों ने इसे नृत्य का हिस्सा समझा, लेकिन जब मन्नाराम ने उठने की कोशिश नहीं की, तो स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए उन्होंने तुरंत सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) देने का प्रयास किया और मुंह से सांस देने की कोशिश की।
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अस्पताल में हुई मौत की पुष्टि
इसके बावजूद, 10 मिनट की कोशिशों के बावजूद उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस अचानक हुई घटना ने पूरे परिवार और गांव में शोक की लहर दौड़ा दी। मन्नाराम जाखड़ की मौत की खबर सुनते ही परिवार की खुशियाँ मातम में बदल गईं।
रिटायरमेंट समारोह की तैयारी में आया अचानक बदलाव
मंगल जाखड़ के रिटायरमेंट के अवसर पर शनिवार को बालाजी महाराज की सवामणी का कार्यक्रम भी तय था, लेकिन मन्नाराम जाखड़ की अचानक मौत ने इस खुशी के मौके को गहरे शोक में बदल दिया। पूरे गांव और परिवार में यह घटना एक बड़े सदमे के रूप में आई है।
शोक की लहर में डूबे लोग
मन्नाराम जाखड़ की अचानक मौत पर परिवार और गांववासियों को विश्वास करना मुश्किल हो रहा है। इस अप्रत्याशित घटना ने उनके परिवार और पूरे गांव को गहरे दुख में डाल दिया है। शिक्षक मन्नाराम की मौत ने उनके परिवार और गांव के लोगों को हिला दिया है और उनकी याद में एक गहरा शोक छाया हुआ है।
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