MDH and Everest Ban

MDH and Everest Ban: भारतीय मसालों में पेस्टिसाइड की मौजूदगी को लेकर चल रहे विवाद के बीच भारत के फूड रेगुलेटर ने बड़ा बात कही। कहा कि देश में बेचे जाने वाले मसालों में एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) नहीं होता है। वहीं, रासायनिक अवयव की वजह से सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग के बाद अब नेपाल ने भी भारत के दो मसाला ब्रांड एवरेस्ट और MDH की बिक्री, खपत और आयात पर रोक लगा दी है। नेपाल के खाद्य प्रौद्योगिकी एवं गुणवत्ता नियंत्रण विभाग के प्रवक्ता मोहन कृष्ण महारजन ने कहा, ‘नेपाल में आयात किए जा रहे एवरेस्ट और MDH ब्रांड के मसालों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

मसालों में हानिकारक केमिकल के अंश पाए जाने की खबर आने के बाद एक हफ्ते पहले आयात पर प्रतिबंध लगाया गया। मार्केट में भी इसकी बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इन दो ब्रांड्स के मसालों में केमिकल के लिए जांच चल रही है। अंतिम रिपोर्ट आने तक प्रतिबंध लागू रहेगा।

एलिथिन ऑक्साइड क्या है?

एलिथिन ऑक्साइड का उपयोग आमतौर पर कीटाणुनाशक के रूप में किया जाता है। इसे खेतों में लगी फसल के लिए कीटनाशक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसका उपयोग खाद्य पदार्थों में सख़्त रूप से वर्जित है। दरअसल भारतीय कंपनी के जिस फ़िश करी मसाला में एथिलीन ऑक्साइ़ड पाया गया उसे कैंसर अनुसंधान अंतरराष्ट्रीय एजेंसी द्वारा 1 कार्सिनोजेन के रूप में वर्गीकृत किया गया हैं  एलिथिन ऑक्साइड गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है, जिसमें स्तन कैंसर के ख़तरे भी शामिल हैं। बता दे कि एथिलीन ऑक्साइड कमरे के सामान्य तापक्रम पर एक मीठी गंध वाली ज्वलनशील रंगहीन गैस है जिसका उपयोग मुख्य रूप से किसी चीज़ को फ्रीज़ होने से रोकने समेत अन्य रसायनों के उत्पादन के लिए किया जाता है। कम मात्रा में इसका इस्तेमाल कीटनाशक और स्टरलाइज़िंग एजेंट के रूप होता है।

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भारतीय सरकारी एजेंसी का क्या है कहना

भारत की सरकारी एजेंसी ‘द फूड सेफ़्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया’ ने बताया है कि जब हांगकांग, सिंगापुर, मालदीव और ऑस्ट्रेलिया के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने भारत से आयात किए जाने वाले एमडीएच और एवरेस्ट जैसे टॉप ब्रैंड्स के मसालों में कैंसर कारक पदार्थ ईटीओ की अस्वीकार्य मात्रा पाई है तो एफ़एसएसएआई ने फौरन कार्रवाई की।

सैंपल में फेलयर हो सकता है कारण

15 मई को वाणिज्य मंत्रालय ने कहा था कि भारतीय मसालों का रिजेक्शन रेट बेहद कम है। वहीं, निर्यात सैंपल की विफलता भी कम है। जानकारी के मुताबिक, वित्त वर्ष 24 में भारत ने लगभग 14.15 मिलियन टन मसालों का निर्यात किया, जिसमें से केवल 200 किलोग्राम के मसाले की वापस मंगाया गया। वही, सैंपल पर प्रभाव की बात करें तो भारतीय निर्यात के लिए सैंपल फेलियर 0.1% से 0.2% के निचले स्तर पर बना हुआ है। जबकि अन्य देशों से आने वाले मसाले का सैंपल फेलियर 0.73% है। मंत्रालय ने कहा कि सैंपल का प्रभावित होना कोई बड़ी बात नहीं है। भारत कई बार कई देशों के सैंपल को खारिज भी कर देता है।

पहले सिंगापुर-हॉन्गकॉन्ग में हुआ बैन

इससे पहले अप्रैल महीने में सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग ने MDH और एवरेस्ट दोनों कंपनियों के कुछ प्रोडक्ट्स में पेस्टिसाइड एथिलीन ऑक्साइड की लिमिट से ज्या होने के कारण बैन किया गया था। इससे कैंसर होने का खतरा बताया जा रहा है।

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