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Nitish Kumar: नरेंद्र मोदी की सरकार बनने से पहले केसी त्यागी के बयान, गरमा गई सियासत

Nitish Kumar

Nitish Kumar: नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट के शपथ ग्रहण की तैयारियों के बीच JDU नेता केसी त्यागी के एक बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। केसी त्यागी ने दावा किया है कि कांग्रेस और INDIA अलायंस ने नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का ऑफर दिया था, लेकिन नीतीश कुमार ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और BJP-NDA का समर्थन करने का फैसला लिया।

INDIA अलायंस का प्रधानमंत्री पद का ऑफर

केसी त्यागी ने कहा कि जो नेता कभी नीतीश कुमार को राष्ट्रीय संयोजक बनाने से इनकार कर रहे थे, आज वही उन्हें प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव दे रहे हैं। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार ने स्पष्ट रूप से इस प्रस्ताव को नकार दिया और BJP-NDA का साथ देने का निर्णय लिया। अब उनके और TDP नेता चंद्रबाबू नायडू के सहयोग से नरेंद्र मोदी की सरकार बनने जा रही है। यह विपक्षियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है।”

नीतीश कुमार की वापसी की वजह

केसी त्यागी ने बताया कि नीतीश कुमार BJP-NDA में वापस आने के लिए मजबूर हो गए थे। कांग्रेस और अन्य पार्टियों का उनके प्रति व्यवहार सही नहीं था, जिसके कारण नीतीश कुमार ने BJP-NDA के साथ जुड़ने का फैसला किया। “अब चाहे कुछ भी हो जाए, नीतीश कुमार के पीछे मुड़कर देखने का सवाल ही पैदा नहीं होता,” त्यागी ने कहा। उन्होंने आगे बताया कि नीतीश कुमार ने कई बार अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है और अब वे नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर देश की सेवा करेंगे।

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मोदी कैबिनेट में JDU के सांसदों की भूमिका

सियासी गलियारों में चर्चा है कि नीतीश कुमार के करीब 10 सांसदों को मंत्री बनाया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, बिहार के सांसद ललन सिंह और रामनाथ ठाकुर मोदी कैबिनेट में मंत्री बन सकते हैं। इसके अलावा दिलेश्वर कामत, संजय झा और सुनील कुमार के भी मंत्री बनने की संभावनाएं हैं।

केसी त्यागी के बयान ने सियासत में एक नई बहस छेड़ दी है। उनके दावों के मुताबिक, नीतीश कुमार का BJP-NDA के साथ आना न सिर्फ उनकी मजबूरी थी बल्कि उनकी प्रतिबद्धता और राजनीतिक दूरदर्शिता का भी परिचायक है। नरेंद्र मोदी की नई सरकार में JDU की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है और इससे बीजेपी और NDA को भी मजबूती मिलेगी।

इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में राजनीतिक परिदृश्य में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। विपक्षी पार्टियों के लिए यह एक बड़ा झटका है और उनके सामने नई चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं। वहीं, NDA के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है और इससे उनकी स्थिति और मजबूत होगी।

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