Non Stick Utensils

Non Stick Utensils: आजकल खाने पकाने के काम में Non Stick बर्तनों का इस्तेमाल बहुत आम हो गया है। इन बर्तनों की चमकदार सतह, बिना चिपचिपाहट के खाना पकाने की सुविधा और आसानी से सफाई करने की वजह से ये लोगों के बीच में लोकप्रिय हो रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन Non Stick बर्तनों का इस्तेमाल अधिकतर लोगों के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है?

कैसे बनता है Non Stick बर्तन?

Non Stick बर्तनों का निर्माण फ्लुओरोपॉलिमर प्रौद्योगिकी द्वारा किया जाता है, जिसमें प्लास्टिक की तरह की रेजिन और तेल प्रदर्शक या नॉनस्टिक कोटिंग होती है। ये बर्तन उच्च तापमान पर भी चिपकने से बचाते हैं, लेकिन इसके उपयोग में कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।

इसमें खाने से अनेक खतरें

विशेषज्ञों का कहना है कि Non Stick बर्तनों का अधिक उपयोग कैंसर, हार्ट डिजीज, अपच और हार्मोनल परिवर्तन जैसे गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। ये बर्तन उच्च तापमान पर अधिक गरम होने पर जहरीले धुएं के रूप में वायु में मिल जाते हैं, जो सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।

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  • विषाणुओं का संचार: उच्च तापमान पर Non Stick बर्तनों के इस्तेमाल से धुएं में पाए जाने वाले पार्टिकल्स वायु में उत्सर्जित हो सकते हैं, जो विषाणुओं के रूप में स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। नॉन-स्टिक बर्तनों की कोटिंग में उपयुक्त न होने की स्थिति में, तेल या तलने के दौरान बर्तन से पॉलिटेट्राफ्लुओरोइथाइलीन (PTFE) धातु की धूल मिल सकती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।
  • कैंसर का खतरा: Non Stick कोटिंग में उपयुक्त न होने पर उसमें मौजूद पॉलिटेफ्लुओरोइथिलीन (PTFE) धातु की धूल को अधिक उच्च तापमान पर जाने पर धूमिल होने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
  • हार्ट डिजीज: Non Stick बर्तनों के इस्तेमाल से परिणामतः उत्पन्न होने वाले धूमिल धुएं दिल के रोगों के खतरे को बढ़ा सकते हैं। नॉन-स्टिक कोटिंग उच्च तापमान पर (260°C या 500°F से अधिक) डिग्री से खराब हो सकती है, जिससे धातु की धूल उत्सर्जित होती है और वायु में छूट सकती है। इससे धुएं में पाये जाने वाले पार्टिकल्स विषाणुओं के रूप में स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • हार्मोनल परिवर्तन: अगर Non Stick कोटिंग किसी भी कारणवश खराब हो जाए, तो उसमें मौजूद धातुओं के निकट संपर्क से हार्मोनल परिवर्तन हो सकता है।
  • हार्ट और श्वासन तंत्र संक्रमण: अगर नॉन-स्टिक कोटिंग में उपयुक्त नहीं हो, तो इसका इस्तेमाल हार्ट और श्वासन तंत्र संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकता है।
  • एलर्जिक प्रतिक्रिया: Non Stick बर्तनों के इस्तेमाल से उत्पन्न होने वाले धूमिल पार्टिकल्स से कुछ लोगों में एलर्जिक प्रतिक्रिया उत्पन्न हो सकती है।
  • साइटोक्रोमिया: अगर Non Stick कोटिंग का प्रयोग बर्तन की सतह पर स्क्रैच हो जाए, तो उससे छिपी धातु की साइटोक्रोमिया हो सकती है, जो अनेक बीमारियों का कारण बन सकती है।
  • शिशुओं में विकासात्मक असमर्थता: गर्भावस्था में नॉन-स्टिक बर्तनों का इस्तेमाल करने से शिशुओं में विकासात्मक असमर्थता का खतरा हो सकता है।

सेहत को बेहतर रखने के लिए बचना जरूरी

इन बर्तनों की कोटिंग अगर उत्तेजित हो जाए तो खाने में छिपी धातु खराब हो सकती है, जो साइटोक्रोमिया और अन्य रोगों के लिए जिम्मेदार हो सकती है। इसके अलावा, अगर इन बर्तनों की सतह पर स्क्रैच आ जाए तो उसमें उपयोग की गई कोटिंग खराब हो सकती है और खाना नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए, इन Non Stick बर्तनों का उपयोग करते समय सतर्कता बरतनी चाहिए और इन्हें अधिक उच्च तापमान पर न रखें। इनकी बजाय कड़ाई, स्टेनलेस स्टील या फिर खाड़ी मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करना सेहत के लिए बेहतर हो सकता है।

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