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अब दारुल उलूम देवबंद शिक्षण संस्थान में आसानी से नहीं मिलेगा प्रवेश।

उत्तर प्रदेश: देवबंद विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने मौजूदा परिस्थितियों के मद्दे नज़र नए छात्रों के लिए दाखिला प्रक्रिया में बदलाव करते हुए दाखला के नियमों में अधिक सख्ती की है।

दारूल उलूम देवबंद ने संस्था में प्रवेश करने वाले सभी नए छात्रों को संस्था द्वारा तय किए गए सभी दस्तावेजों के साथ दारुल उलूम देवबंद पहुंचने का आदेश दिया गया है, उन छात्रों को दारुल उलूम देवबंद में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। कोई छात्र जिस के पास पिता का आधार कार्ड और मोबाइल नंबर के साथ प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए पूर्व मदरसे का प्रमाण पत्र और वार्षिक परीक्षा में प्राप्त अंकों की मार्कशीट लाना जरूरी होगा।

सीमावर्ती क्षेत्रों (जम्मू और कश्मीर, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, त्रिपुरा, असम आदि) के छात्रों को अपने साथ अपना मूल निवास प्रमाण पत्र और शपथ पत्र लाना होगा। इसके बिना प्रवेश प्रक्रिया पूरी नहीं होगी। इस संबंध में किसी को भी छूट नहीं दी जाएगी। जो छात्र आवश्यक दस्तावेज जमा नहीं करेगा वह दाखिले के लिए दारुल उलूम देवबंद बिल्कुल ना आए क्योंकि ऐसे छात्रों को दाखिला नहीं दिया जाएगा।

छात्र अपनी असल आईडी की फोटो कॉपी जमा करें, जिस की जांच सरकारी विभाग एलआईयू आदि से कराई जाएगी, आईडी गलत पाए जाने पर दारुल उलूम देवबंद से इखराज कर दिया जाएगा, साथ ही कानूनी कार्रवाई भी कराई जा सकती है। इस के अलावा जन्म प्रमाणपत्र के साथ राशन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट या निवास प्रमाण पत्र में से किसी दो आईडी का जमा कराना अनिवार्य है। ईद उल फितर के दो दिन बाद दारुल उलूम देवबंद में नए छात्रों के लिए प्रवेश प्रक्रिया आरंभ होती है। 10 दिन में प्रवेश परीक्षा शुरु हो जाती है और एक महीने के अंदर दाखला प्रक्रिया पूरी होने के बाद नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत होती है।

रिपोर्ट -: अनिल कटारिया

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