अब अखिलेश के सामने चुनौती है कि कैसे वह खुद को मजूबत नेता प्रतिपक्ष के तौर पर पेश करें। वर्ष 2027 तक जब भी विधानसभा बैठेगी योगी आदित्यनाथ व अखिलेश यादव आमने-सामने होंगे।
योगी आदित्यनाथ व अखिलेश अब तक सड़क पर जनसभाओं में और मीडिया के जरिए एक दूसरे पर हमला करते रहे हैं। अब बात आमने-सामने की है।
सदन में एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ होंगे जिनके धारदार भाषण के जरिए वह विपक्ष दलों की धज्जियां उड़ाते हैं तो दूसरी ओर अखिलेश यादव के लिए नेता सदन की बातों का माकूल जवाब देने का पूरा मौका होगा।
सदन की परंपरा है कि नेता सदन व नेता प्रतिपक्ष के बोलने की समय सीमा तय नहीं होती है और वह कभी भी अध्यक्ष की अनुमति से किसी मुद्दे को उठा सकते हैं।