Times 100 Health List: नए इलाजों, नई खोजों, और बीमारियों पर वैश्विक जीत की ओर दुनिया का ये नया कदम सबकी प्ररेणा बन गया है। ऐसा लगा है कि ये नये युग की शुरुआत है। दरअसल, महामारी के बाद सभी चीजों को नए तरीके से देखा जा रहा है। इसने स्वास्थ्य सेवाओं में बदलाव लाने के लिए वैज्ञानिकों को उत्साहित किया है। टाइम ने 2023 में स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़े बदलाव लाने वाले 100 लोगों की सूची जारी की है। इस सूची में खास बात यह है कि इसमें भारतीय मूल के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। इसमें उनके अद्भुत प्रदर्शनों की चर्चा की जा रही है, जो स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांति लाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
तो आइए जाने है टाइम-100 हेल्थ लिस्ट में शामिल इन 5 भारत या भारतीय मूल के शख्सियतों के बारे में।
1. डॉ. अलका द्विवेदी: ‘नेक्स्टकार19’ से ब्लड कैंसर का इलाज
अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की फेलो, डॉ. अल्का द्विवेदी ने ‘नेक्स्टकार19’ थेरेपी का विकास किया है, जो ब्लड कैंसर के इलाज में महत्वपूर्ण योगदान है। भारत में इस थेरेपी से इलाज पर 30 से 40 लाख का खर्च आएगा। यह थेरेपी दुनियाभर में प्रचलित सीएआर-टी इलाज के मुकाबले 10 गुना सस्ती है। सीएआर-टी थेरेपी में 3 से 4 करोड़ रुपए तक का खर्च आता है।
2. डॉ. अविंद्र नाथ: महिलाओं में थकान का कारण खोजा
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजी डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक के डॉ. अविंद्र नाथ ने क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम का कारण ढूंढा। आमतौर पर महिलाओं में होने वाले इस सिंड्रोम में अत्यधिक थकान, नींद की समस्या और गंभीर दर्द की शिकायत होती हैं। नाथ ने शोध से बताया कि इस सिंड्रोम में प्रतिरक्षा प्रणाली अति सक्रिय होने से परेशानी होती है।
3. डॉ. वेंकट शास्त्री: अल्जाइमर की पहचान का नया तरीका
अमेरिक के एलजी पैथ के CEO, डॉ. वेंकट शास्त्री ने अल्जाइमर की पहचान के लिए एक नया ब्लड टेस्ट खोजा है, जिससे अल्जाइमर की जल्दी पहचान की जा सकती है। इस खोज के बाद डॉक्टर अब एक आसान ब्लड टेस्ट के जरिए अल्जाइमर की जल्दी पहचान कर सकते हैं। वे और उनकी कंपनी इसी तकनीक के जरिये अब पार्किंसंस बीमारी का जल्द पता लगाने पर भी काम कर रहे हैं।
4. डॉ. विवेक मूर्ति: युवाओं में अकेलापन को दूर करने के लिए प्रोग्राम
अमेरिका में बतौर जनरल सर्जन काम कर रहे डॉ विवेक मूर्ती ने कॉलेज के छात्रों और युवाओं में अकेलेपन की समस्या सबसे ज्यादा देखी। अमेरिकी सर्जन जनरल रहते हुए इससे निपटने के प्रयास शुरू किए। इसकी वजह से शिक्षण संस्थानों व कंपनियों ने अकेलेपन को दूर करने के लिए प्रोग्राम बनाना शुरू किया।
5. डॉ. सुंबुल देसाई: टेक से मेंटल हेल्थ में सुधार
एपल हेल्थ की वाइस प्रेसिडेंट डॉ सुंबुल देसाई ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर अवसाद के बारे में जानने के लिए एपल वॉच और आईफोन का उपयोग किया। शोध में पता चला कि देर से सोना, घर पर ज्यादा रहना, अधिक समय बैठे रहना और कम व्यायाम अवसाद के कारण हैं।
यह भी पढ़े: World Hand Hygiene Day 2024: हाथों की स्वच्छता को लेकर जागरूकता जरूरी, जानें इसका महत्त्व