Uttar Pradesh News: एक मुस्लिम लड़की ने अपने प्रेम को पाने के लिए मजहब की दीवारें तोड़ीं। इस प्रेम कहानी का केंद्र आरजू राइन, जिन्हें अब आरती जयसवाल कहा जाता है, और हिंदू युवक दिनेश जायसवाल है। दोनों ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के एक हिंदू मंदिर में अपने प्रेम को साकार किया। हिंदू लड़के संग मुस्लिम लड़की की शादी का मामला महोबा जिले के पनवाड़ी कस्बे का है। इस विवाह में वर पक्ष के परिवारिजन और हिंदू संगठन के लोग साक्षी बने हैं। सभी ने दोनों को सुखी दांपत्य जीवन बिताने का आर्शीवाद दिया है। परिवार ने सरकारी मदद और सुरक्षा की मांग की है।
मुस्लिम लड़की आरजू राइन की कस्बे के ही हिंदू युवक दिनेश जायसवाल से पांच साल पहले मुलाकात हुई थी। ये मुलाकात दोस्ती से शुरू होकर धीरे-धीरे प्रेम में बदल गई। दोनों एक दूसरे के साथ प्यार में इस कदर खोए कि साथ जीने मरने की कसमें खा बैठे। उन्हें एक-दूसरे के बिना रहना असंभव लगने लगा।
मंदिर में की शादी
दरअसल, दोनों के परिवार के विरोध के चलते प्रेमी जोड़ा घर से भाग गया, जहां दोनो ने आपसी सहमति से शादी कर ली और साथ रहने लगे। अब जब पांच साल बाद दोनों अपने गांव वापस लौटे तो मंदिर में हिंदू रीति-रिवाज से विवाह कर लिया। दोनों ने गौरैया माता मंदिर में एक सांस्कृतिक और धार्मिक समारोह में शादी की। इसके साक्षी वर पक्ष के परिजन और हिंदू संगठन के लोग बने हैं। आरजू राईन ने हिंदू धर्म अपनाते हुए अपने प्रेमी का हाथ थाम लिया है।
आरजू से आरती बनी
इसके बाद आरजू ने हिंदू धर्म अपनाते हुए अपना नाम बदलकर आरती जायसवाल रख लिया है। आरजू से आरती जायसवाल बनी दुल्हन ने जय श्रीराम का जयकारे लगाते हुए कहा कि मेरा नाम अब आरजू राइन से बादल कर आरती जयसवाल हो गया है। मैंने हिंदू धर्म अपनाते हुए दिनेश जायसवाल से शादी कर ली है। अब मैं बहुत खुश हूं।
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वहीं, दिनेश जायसवाल ने बताया कि 5 साल पहले आरजू के साथ प्रेम हो गया था। परिवार के लोग शादी के लिए नहीं माने तो वह दोनों घर से भाग गए। अब वापस आकर मंदिर में शादी की है। दोनों बहुत खुश हैं। मेरे परिवार के लोगों ने भी उसे अपना लिया है। इस पर दिनेश की मां सरस्वती जायसवाल ने कहा कि अपने बेटे के विवाह से खुश हैं। उनकी बहु जो पहले मुस्लिम थी, उसने भी हिंदू धर्म अपना लिया है। अब वह चाहती है कि सरकार इनकी सुरक्षा पर ध्यान दें।
सरकार से सुरक्षा की मांग की
इस अनोखे विवाह के मुख्य साक्षी उनके परिवारीक सदस्यों और हिंदू समाज के प्रतिनिधियों थे। दोनों के परिवार ने सरकारी सहायता और सुरक्षा की मांग की है, ताकि वे अपने नए जीवन की शुरुआत कर सकें। इस प्रेम कहानी में एक नया दृष्टिकोण है, जो समाज को धार्मिक सीमाओं को पार करने के लिए प्रेरित करता है। यह एक संदेश है कि प्रेम कोई धार्मिक सीमा नहीं जानता है और यह सिर्फ दिलों का मामला होता है।