Manipur violence: मैतेई (Meitei) और कुकी समुदाय (Kuki community) बीच की हिंसा लगातार सुर्खीयों में बनी हुई है। मैतेई समुदाय के लोगों ने सुरक्षाकर्मियों (security personnel) पर पथराव किया, जवाब में असम राइल्स (Assam Rails) ने हवाई फायरिंग की (3 अगस्त) को 3 महीने पूरे हो गए। बिष्णुपुर जिले (Bishnupur district) में गुरुवार को सुरक्षाबलों और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़प (violent clash) हुई। स्थिति को संभालने के लिए सुरक्षाबलों ने हवाई फायरिंग (aerial firing) की और आंसू गैस के गोले छोड़े। जिसमें 17 लोग घायल हो गए।
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रिपोर्ट के मुताबिक, बिष्णुपुर में मैतेई समुदाय की महिलाओं ने बफर जोन को पार करने का किया प्रयास। असम राइफल्स ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इस पर महिलाएं सुरक्षाबलों पर पथराव करने लगीं। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाबलों ने हवाई फायरिंग और आंसू गैस के गोले छोड़े। झड़प के बाद इंफाल और पश्चिमी इंफाल में कर्फ्यू में दी गई ढील वापस ले ली गई।
मणिपुर हिंसा में अब तक मारे जा चुके लगभग 160 से ज्यादा लोग
मणिपुर हिंसा में अब तक लगभग 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। कई लोगों के शव इंफाल और चूराचांदपुर के अस्पतालों की मॉर्चुरी में रखे हैं। गुरुवार को चूराचांदपुर में कुकी समुदाय के 35 लोगों के शवों को सामूहिक रूप से दफनाया जाना था। लेकिन, गृह मंत्रालय से बातचीत के बाद इस फैसला टाल दिया गया।
मणिपुर हाईकोर्ट ने दिया यथास्थिति बनाए रखने का आदेश
कुकी-जो समुदाय के संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) के मुताबिक, चूराचांदपुर जिले के लम्का शहर के तुईबोंग शांति मैदान में शवों को दफनाने का कार्यक्रम होना था। मणिपुर हाईकोर्ट ने इस जगह पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।
रात 10 बजे तक नहीं हुई थी कोई घटना
बुधवार रात एक अफवाह फैली कि कुछ जो-कुकी लोगों के शव दफनाने के लिए बाहर ले जाए जा सकते हैं। इसके बाद इंफाल में रीजनल आयुर्विज्ञान संस्थान और जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान दो अस्पतालों के पास भीड़ जमा हो गई। हालांकि, पुलिस भीड़ को शांत करने में कामयाब रही। रात 10 बजे तक कोई घटना नहीं हुई।
इंफाल के इन दोनों अस्पतालों की मॉर्चुरी में ही इंफाल घाटी में जातीय संघर्ष में मारे गए लोगों के कई शव रखे हुए हैं। किसी भी हिंसा को रोकने के लिए यहां असम राइफल्स, रैपिड एक्शन फोर्स, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और सेना की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात की गई हैं।
26 दिन से 2 लोग लपता
इम्फाल में अपुम्बा तेन्बांग लुप, पात्सोई विधानसभा क्षेत्र की महिलाओं ने 26 दिन बाद 2 किशोरों का पता नहीं लगा पाने के विरोध में प्रदर्शन किया। 3 मई को हिंसा फैलने के बाद से राज्य में दो पत्रकारों और दो किशोरों समेत 27 लोग लापता हैं। मोरेह से सुरक्षा बल हटाने को लेकर गुरुवार को 12 घंटे का कंग्पोक्पी बंद रहेगा।
मैतेई समुदाय के लोगों ने एकजुटता मार्च निकाला
3 मई को मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (SC) दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाला गया था। जिसके बाद वहां जातीय संघर्ष भड़क उठा। तब से लेकर अब तक वहां 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं
महिलाओं की चेतावनी- मैतेई क्षेत्र में हम कुकी कब्रिस्तान नहीं बनने देंगे
चूराचांदपुर के बुलजंग गांव में सेरीकल्चर फार्म वाला क्षेत्र सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील है और टकराव वाले कुकी और मैतेई समुदाय की सीमा में है। हालांकि, ये सरकार के स्वामित्व में है। अधिकारियों ने अनुरोध किया है कि अंतिम संस्कार का स्थान बदल दिया जाए, जिसकी व्यवस्था की जा सकती है। हालांकि, ITLF इसे मानने को राजी नहीं है।
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इस बीच, कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटिग्रिटी (कोकोमी) ने तोरबुंग में सामूहिक अंतिम संस्कार न करने की मांग की है। कोकोमी और मैतेई समुदाय की महिलाओं ने कहा है कि जिस जगह का जिक्र किया जा रहा है, वहां मैतेई आबादी है। हमलावरों ने हिंसा फैलने के बाद वहां से उन्हें भगा दिया था।
अब वहां कुकी समुदाय के लोगों के शव दफनाए जाने से मैतेई का अपमान होगा। यहां कुकी कब्रिस्तान नहीं बनने देंगे। अगर ऐसा होता है, तो इसकी प्रतिक्रिया खतरनाक होगी। विकल्प में मृतकों को चूराचांदपुर के कब्रिस्तानों में अथवा जिले के दूसरी जगहों पर भी दफनाया जा सकता है। मणिपुर वुमेन कन्वेंशन (MWC) ने भी इसी तरह की चेतावनी दी है।