राजस्थान हाई कोर्ट ने एक एक अजीब फैसला सुनाया है। 

लड़की के सभी कपड़े उतार देना, उसे पूरी तरह निर्वस्त्र कर देना।

खुद को भी पूरी तरह निर्वस्त्र  कर देना, दुष्कर्म करने का  प्रयास नहीं है।

राजस्थान हाईकोर्ट ने ये फैसला 33 साल पुराने एक केस में दिया है। 

राजस्थान हाईकोर्ट ने 1991 में दर्ज किए गए यौन शोषण के मामले का निपटारा किया।

जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने अपने फैसले में कहा है 

लड़की के इनरवियर उतारना और पूरी तरह निर्वस्त्र कर देना, दुष्कर्म करने का प्रयास नहीं है।

साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और धारा 511 के तहत कोई अपराध भी नहीं है। 

बल्कि इसे धारा 354 के तहत महिला का शील भंग करने के लिए उस पर हमला करने का अपराध होगा।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, साल 9 मार्च 1991 का मामला है।

तब आरोपी सुवालाल 25 साल का था जब उसने 6 साल की बच्ची के सारे कपड़े उतार दिए थे।

अपने भी सारे कपड़े उतार दिए थे। बच्ची ने शोर मचाया तो आरोपी फरार हो गया।

टोंक की अदालत ने सुवालाल को दुष्कर्म का प्रयास करने का दोषी ठहराया।

सुनवाई के दौरान वह ढाई महीने जेल में रहा।