Bhopal gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी से पीड़ितों परिवारों के लिए एक बार फिर बुरी खबर आ रही है। बता दें कि पीड़ितों के लिए और ज्यादा मुआवजे की मांग करने वाली केंद्र सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। केंद्र सरकार ने 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को अधिक मुआवजा देने के लिए यूसीसी की उत्तराधिकारी कंपनी से अतिरिक्त 7,844 करोड़ रुपये मांग की याचिक दायर की है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बीमा पॉलिसी तैयार नहीं करने के लिए लताड़ लगी।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की क्यूरेटिव याचिका को खारिज करते हुए कहा कि डाऊ कैमिकल्स के साथ समझौता फिर से नहीं खुलेगा। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि आरबीआई के पास पड़ी 50 करोड़ रुपये का इस्तेमाल केंद्र सरकार लंबित पड़ी दवाओं के लिए करें। साथ ही ये भी कहा कि दो दशक बाद इस मुद्दे को उठाना ठीक नहीं है। खासकर तब जब केंद्र सरकार अपनी बात को रखने नाकामय़बा हुई। इससे पहने संविधान पीठ ने 12 जनवरी को केंद्र सरकार की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बात दें इन पांच जजों में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके महेश्वर भी शामिल हैं।
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470 मिलियन अमेरिकी डॉलर मिला था मुआवजा
दरअसल, भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन ने हुए नुकसान के लिए हरजान भरा था। मुआवजे के तौर पर उस समय 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 1989 में 715 करोड़ रुपये मामले को निपटाने के लिए दिये गये थे। बता दें, सन् 1989 की आधी रात को यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव 3000 से अधिक लोग मारे थे। वहीं, लाख लोग लंबी बीमारी से ग्रस्त रहे।
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