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BSP supremo Mayawati: उत्तर प्रदेश की राजनिति में नया मोड़ आने वाला है। हम ऐसा इसलिए कहा रहे है क्योंकि डेढ़ दशक से सत्ता से बाहर बसपा एक बार फिर अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में है। हाल ही में बसपा सुप्रीमो मायावती ने निकाय चुनाव को लेकर खुद पार्टी के कार्यकर्ताओं को दिशा-निर्देश दिए। साथ ही ट्वीट कर सपा पर साजिश रचने का आरोप लगाया।

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क्या कहा बैठक में

मायावती ने बैठक में तीन बड़ी बातें कही। उन्होंने कहा कि, ‘‘दलित समाज मजबूत चट्टान की तरह बसपा पार्टी और मूवमेंट के साथ हमेशा खड़ा रहता है। जबकि सपा जैसी पार्टियां उन्हें वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती रहती हैं। इसी वजह से भाजपा यूपी में मजबूत हुई है।’’ साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि  ‘‘अब यूपी में निकाय चुनाव में खासकर ओबीसी वर्ग के हित कल्याण तथा इसके आरक्षण बेरोजगारी तथा खेती संकट आदि को लेकर भाजपा और इनकी सरकार पूरी तरह से कटघरे में है। भाजपा की हालत डांवाडोल है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘समाजवादी पार्टी भी दलित, अति पिछड़े और मुस्लिम समाज के हित की सुरक्षा के मामले में छलावा कर रही है। इस वजह से वह भी पूरी तरीके से बैकफुट पर है।’’ इतना ही नहीं, उन्होंने ये भी कहा कि ‘‘निकाय चुनाव में उम्मीदवारों का चयन काफी सोच-समझकर करना होगा। सिर्फ उन्हीं लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो सर्व समाज के साथ जनहित के कार्यों में सफल रहे हैं। निजी स्वार्थ वाले किसी उम्मीदवार के चयन पर पार्टी की तरफ से विचार नहीं किया जाएगा।’’

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सपा पर ट्वीट कर साधा निशाना

मायावती ने अपने ट्वीट में लिखा है, ”सपा प्रमुख की मौजूदगी में ‘मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम’ नारे को लेकर रामचरित मानस विवाद वाले सपा नेता पर मुकदमा होने की खबर आज सुर्खियों में है। वास्तव में यूपी के विकास व जनहित के बजाय जातिवादी द्वेष एवं अनर्गल मुद्दों की राजनीति करना सपा का स्वभाव रहा है।”

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ट्वीट के जरिए मायावती ने लिखा है, ”और यह हकीकत लोगों के सामने बराबर आती रही है कि सन् 1993 में मान्यवर श्री कांशीराम जी ने सपा-बसपा गठबंधन मिशनरी भावना के तहत बनाई थी, किन्तु श्री मुलायम सिंह यादव के गठबंधन का सीएम बनने के बावजूद उनकी नीयत पाक-साफ न होकर बसपा को बदनाम करने व दलित उत्पीड़न को जारी रखने की रही।” यह भी कहा कि ”इसी क्रम में उस दौरान अयोध्या, श्रीराम मन्दिर व अपरकास्ट समाज आदि से सम्बंधित जिन नारों को प्रचारित किया गया था, वे बीएसपी को बदनाम करने की सपा की शरारत व सोची-समझी साजिश थी। अतः सपा की ऐसी हरकतों से खासकर दलितों, अन्य पिछड़ों व मुस्लिम समाज को सावधान रहने की सख्त जरूरत है।”

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