NCERT Book in Punjab: नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग की कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की पाठ्य पुस्तकों में बदलाव के बीच शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) सहित सिख निकायों ने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव में 1973 में अपने लक्ष्य के रूप में पुस्तकों में “अलगाववादी संकल्प” के रूप में व्याख्या किए जाने की बात कही है। एसजीपीसी ने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव को ‘अलगाववादी’ दस्तावेज करार दिए जाने पर आपत्ति जताई है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी दावा किया कि एनसीईआरटी ने 12वीं कक्षा के राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम की किताब में सिखों से संबंधित ऐतिहासिक विवरणों को गलत तरीके से पेश किया है।
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एसजीपीसी के प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने एक बयान में कहा कि एनसीईआरटी ने ‘पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस’ नामक पुस्तक के अध्याय-आठ (रीजनल एस्पिरेशंस) में ‘आनंदपुर साहिब’ प्रस्ताव के बारे में ‘भ्रामक जानकारी’ दर्ज की है और समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। वही, सीएम विजयन ने कहा कि यह स्पष्ट है कि एनसीईआरटी की नए शैक्षणिक सत्र के लिए 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या और आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने के बारे में दिए गए अंशों को हटाने से किसका हित पूरा हो रहा है। उन्होंने कहा कि उसी कक्षा की इतिहास की पाठ्यपुस्तक से मुगल साम्राज्य के कुछ अंश भी हटा दिए गए थे। उन्होंने कहा, ‘‘मुगल साम्राज्य के बिना भारत का मध्यकालीन इतिहास अधूरा है।’’
वहीं, कांग्रेस ने केंद्र पर इतिहास को तोड़-मरोड़कर और गलत ढंग से पेश करने का आरोप लगाया। एनसीईआरटी के प्रमुख दिनेश सकलानी ने कहा कि पाठ्यक्रम को पिछले साल जून में ही ‘तर्कसंगत’ बना दिया गया था और इस साल पाठ्यक्रम से कुछ नहीं हटाया गया है।
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अलगाववादियों के रूप में चित्रित किया
1973 के प्रस्ताव की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि यह राज्य के अधिकारों और संघीय ढांचे को मजबूत करने के बारे में बात करता है। धामी ने कहा, “सिखों को अलगाववादियों के रूप में चित्रित करना बिल्कुल भी उचित नहीं है, इसलिए एनसीईआरटी को इस तरह के अत्यधिक आपत्तिजनक उल्लेखों को हटा देना चाहिए।” उन्होंने दावा किया, ’12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में कुछ पुरानी सूचनाओं को हटाकर और कुछ नई जानकारियों को जोड़कर सांप्रदायिक पहलू लिया गया है।’ वही, एसजीपीसी प्रमुख ने कहा कि आनंदपुर साहिब प्रस्ताव एक ऐतिहासिक दस्तावेज है जिसमें कुछ भी गलत नहीं है।