नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के तीसरा आर्बिट चेंज करने की सफलता की जानकारी ट्वीट कर दी है। इसरो ने ट्वीट में लिखा, ‘तीसरा कक्षा-उत्थान गतिविधि (पृथ्वी-बाउंड पेरिजी फायरिंग) ISTRAC/ISRO, बेंगलुरु से सफलतापूर्वक किया गया है।
इसरो ने मंगलवार को कहा कि 18 जुलाई को चंद्रयान-3 का तीसरा ऑर्बिट मैन्यूवर सफलतापूर्वक करने के बाद अगला कदम 20 जुलाई को उठाया जाएगा। चंद्रयान-3 को 31 जुलाई तक 1 लाख किमी दूर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। तीसरी ऑर्बिट मैन्यूवरिंग से पहले चंद्रयान 226 किमी की पेरीजी और 41,762 किमी की एपोजी वाली अंडाकार ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा था। इसरो ने सीमित जानकारी ही दी है; जिसमें यह नहीं बताया गया कि इंजन को कितनी देर के लिए ऑन रखा गया था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के ऊपरी कक्षा में पहुंचने की दूसरी प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली है।
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चंद्रयान-3 के परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल ने कहा था कि इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी), बेंगलुरु से अंतरिक्ष यान पर करीबी नजर और नियंत्रण रखेगा। यह चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा।
अंतरिक्ष यान वर्तमान में अंतरिक्ष में घूम रहा है और 5 अगस्त तक चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने की उम्मीद है और सॉफ्ट-लैंडिंग का प्रयास 23 अगस्त को होने की संभावना है। चंद्रयान अपने रास्ते पर सही क्रम में आगे बढ़ रहा है और यान की स्थिति सामान्य है। भारत को चंद्रयान-3 की सफलता से बड़ी उम्मीदें हैं। लेकिन भारत ने चंद्रमा तक पहुंच के लिए जो तरीका चुना है; उसमें बहुत अधिक समय लगेगा।
चंद्रयान-3 दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण
ये मिशन सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के लिए काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि ये मिशन चंद्रमा के उन भागों की स्टडी करेगा जहां अभी कोई भी नहीं पहुंचा है। चंद्रयान-3 अपनी 40-50 दिनों की यात्रा के बाद 23 अगस्त की शाम को चांद पर लैंड कर सकता है। इसकी लैंडिंग की पुष्टि इसरो ने कर दी है। इस चंद्रयान-3 को ‘एलवीएम-3 एम4’ रॉकेट की मदद से सफलतापूर्वक लांच किया गया।