Delhi Lal Qila Blast: दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास सोमवार शाम हुआ धमाका अब एक बड़े सुरक्षा मामले में बदल गया है। इस घटना में अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 24 से अधिक लोग घायल हैं। दो शवों की पहचान हो गई है, जबकि बाकी शवों की पहचान DNA टेस्ट के जरिए की जाएगी। इस विस्फोट ने दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
धमाका शाम 6:52 बजे उस समय हुआ, जब ट्रैफिक सामान्य रूप से चल रहा था। सफेद रंग की i20 कार लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर-1 के पास स्थित सिग्नल पर कुछ देर तक खड़ी रही और अचानक उसमें विस्फोट हो गया। धमाका इतना तेज़ था कि आसपास खड़ी कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं और वहां मौजूद लोग घबराकर इधर-उधर भागने लगे।
धमाके के तुरंत बाद की स्थिति
धमाके की आवाज सुनते ही आसपास के दुकानदारों, राहगीरों और ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा कर्मियों में अफरा-तफरी मच गई। मौके पर मौजूद लोगों ने तुरंत पुलिस और अग्निशमन विभाग को सूचना दी। कुछ ही मिनटों में दिल्ली पुलिस, फायर ब्रिगेड, पैरामेडिकल टीमें और एम्बुलेंस वहां पहुंच गईं। घायलों को नजदीकी अस्पताल में ले जाया गया। इसके बाद कुछ ही देर में जांच एजेंसियां भी मौके पर पहुंच गईं। एनआईए (NIA), एनएसजी (NSG) और फॉरेन्सिक साइंस लेबोरेट्री (FSL) की टीमों ने क्षेत्र को पूरी तरह सील कर दिया। यह स्पष्ट संकेत है कि मामले को सामान्य विस्फोट नहीं, बल्कि संवेदनशील सुरक्षा घटना माना जा रहा है।
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कार और संदिग्ध पर ध्यान
मंगलवार को सामने आए CCTV फुटेज में दिखाई देता है कि एक काले रंग का मास्क पहने व्यक्ति कार को पार्किंग से बाहर निकालते हुए नजर आता है। उसकी पहचान डॉक्टर मोहम्मद उमर नबी, निवासी पुलवामा (कश्मीर) के रूप में बताई जा रही है। शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि धमाके में वह व्यक्ति भी मारा गया। कश्मीर पुलिस ने उमर की पहचान की पुष्टि के लिए उसकी मां और दो भाइयों का DNA सैंपल लिया है। दिल्ली पुलिस उमर के फोन रिकॉर्ड, यात्रा विवरण, और सोशल मीडिया कनेक्शन्स की जांच कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह अकेला काम कर रहा था या किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा था। धमाका कैसे हुआ? अभी भी साफ़ नहीं
धमाका कार के भीतर हुआ, लेकिन अब तक यह निर्धारित नहीं हो सका है कि उसमें:
- RDX,
- कोई घरेलू विस्फोटक (IED),
- या केमिकल रिएक्शन
का प्रयोग किया गया था।
फॉरेंसिक टीम ने विस्फोट के बाद कार के मलबे से जो नमूने लिए हैं, उनकी लैब रिपोर्ट का इंतजार है। इसी रिपोर्ट से यह पता चलेगा कि धमाका आतंकी हमला था या कोई अन्य साज़िश।
धमाके की जगह क्यों है महत्वपूर्ण?
धमाका दिल्ली के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक में हुआ है।
लाल किला वह जगह है जहां:
- लाखों लोग रोज़ आते हैं
- कई सरकारी और सुरक्षा एजेंसियों के ऑफिस पास हैं
- विदेशी मेहमान और राजनयिक अक्सर आते हैं
इसलिए सुरक्षा एजेंसियाँ इस एंगल को भी देख रही हैं कि:
कहीं यह हमला लाल किले या लोगों की भीड़ को निशाना बनाने की कोशिश तो नहीं थी?
और क्या कार को किसी बड़े स्थान पर पहुंचाए जाने से पहले ही विस्फोट हो गया?
जांच का रुख क्या है?
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में UAPA (गैर-कानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम) और Explosive Act के तहत FIR दर्ज की है। यह स्पष्ट संकेत है कि जांच अब आतंकवाद के एंगल से की जा रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां अब यह पता लगाने पर काम कर रही हैं कि:
- विस्फोटक सामग्री कहां से आई
- कार किसने खरीदी
- क्या इस हमले के तार कश्मीर, दिल्ली, या किसी विदेशी संगठन से जुड़े हो सकते हैं?
धमाके के कारण, इरादे, और जिम्मेदारों को लेकर अभी बहुत से सवाल बाकी हैं। लेकिन एक बात साफ है: यह घटना एक साधारण दुर्घटना नहीं है। यह मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा है और जांच एजेंसियां इसे अत्यधिक गंभीरता से आगे बढ़ा रही हैं।
दिल्ली धमाके से जुड़े मुख्य सवाल
धमाका कैसे हुआ?
क्या कार में पहले से विस्फोटक रखा हुआ था, या कोई विस्फोटक डिवाइस (IED) रिमोट से एक्टिवेट किया गया?
कार किसकी थी?
i20 कार किसके नाम पर रजिस्टर थी? कार को किसने खरीदा, और घटना से पहले वह कहाँ-कहाँ चली?
संदिग्ध डॉ. उमर नबी अकेला था या गिरोह का हिस्सा?
क्या यह हमला किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा था? क्या इसके पीछे कोई आतंकी संगठन है?
धमाके का असली निशाना कौन था?
क्या टारगेट आम जनता थी, सुरक्षा बल थे, या लाल किला जैसे संवेदनशील स्थल पर हमला करने की कोशिश की जा रही थी?
धमाके में कौन-सी सामग्री का इस्तेमाल हुआ?
क्या इसमें RDX, केमिकल एक्सप्लोसिव या किसी स्थानीय विस्फोटक का उपयोग किया गया? इसे कहाँ तैयार किया गया?
कार कई घंटों तक पार्किंग में क्यों खड़ी रही?
क्या संदिग्ध किसी से निर्देश की प्रतीक्षा कर रहा था? या घटना का टाइमिंग पहले से तय था?
CCTV फुटेज में दिखा संदिग्ध कहाँ से आया और कहाँ गया?
क्या उसके रूट, मोबाइल लोकेशन और कॉल रिकॉर्ड से कोई कनेक्शन मिलता है?
क्या धमाका योजनाबद्ध हमला था या विस्फोटक समय से पहले ब्लास्ट हो गया?
अगर योजना किसी भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में ज़्यादा नुकसान पहुंचाने की थी, तो विस्फोट जल्दी हो गया क्या?
क्या इस घटना से पहले कोई खुफिया चेतावनी मिली थी?
अगर नहीं, तो दिल्ली की सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़ा होता है।
