Site icon Sachchai Bharat Ki

Fake Birth Certificate: रायबरेली में बढ़ता फर्जीवाड़ा, अब तक 20 हजार प्रमाणपत्र घुसपैठियों के नाम, जानें अपडेट

Fake Birth Certificate

Fake Birth Certificate: उत्तर प्रदेश के रायबरेली के सलोन से एक बड़ा मामला सामने आ है। फर्जी प्रमाण पत्र बनने के मामले का खुलासा होने के बाद पूरे प्रदेश में इसकी जांच के आदेश दिए गये हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, करीब 20 हजार फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों की कड़ियां बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों से जुड़ रही हैं।

जांच में यह पता चला है कि रायबरेली के सलोन और छतोह ब्लॉक में घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता दिलाने का षड्यंत्र चल रहा था। आपको बता दें, कि सलोन के पांच गांवों में बनाए गए प्रमाणपत्रों की जांच चल रही है। जांच में 19184 प्रमाणपत्र फर्जी मिले हैं। इस दौरान 24 अक्टूबर 2023 को नूरुद्दीन पुर गांव में करीब 1000 प्रमाण पत्र जारी करने के साक्ष्य मिले।  गढ़ी, इस्लामनगर, लहेरुपुर, सिरसीरा, गोपालपुर गांव में भी एक-एक दिन में क्षमता से ज्यादा प्रमाण पत्र बनाने की बात पता चली। वर्ष 2020 से जिले में ऑनलाइन जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की व्यवस्था की गई। संबंधित सरकारी अस्पतालों या ग्राम पंचायतों के स्तर से ये प्रमाणपत्र जारी किए जाते हैं। नियमानुसार, प्रमाणपत्र जारी करते समय जन्म की तिथि में जो वर्ष दर्ज किया जाएगा, उसी वर्ष के प्रमाणपत्रों की संख्या में सर्टिफिकेट शामिल हो जाता है।

पुलिस और एटीएस जांच से मिली जानकारी

पुलिस और एटीएस की जांच में पाया गया कि गांव के पंचायत सचिवों ने अपनी आईडी और पासवर्ड का दुरुपयोग करके इन प्रमाणपत्रों को जारी किया था। एक आईडी और पासवर्ड से एक दिन में इतनी बड़ी संख्या में प्रमाणपत्र बनाना संभव नहीं हो सकता था, लेकिन इसके बावजूद ऐसी गतिविधियां हो रही थीं। सलोन के चार गांव में एक दिन में ही 500 से लेकर 1000 तक फर्जी प्रमाण पत्र बनाए गए। फर्जी जन्म प्रमाणपत्र में सलोन के तार कर्नाटक, केरल और मुंबई से भी जुड़ चुके हैं।

1 पंजीयन पर 2 जन्म प्रमाण पत्र

निगम ने माना-अन्य फर्जी प्रमाण पत्र कीसंभावना से नहीं इनकार इसी प्रकाररजिस्ट्रेशन 08127001000001402151/2020 से 6 अगस्त 2020 पर 2 जन्मप्रमाण पत्र जारी किया जाना पाया गया,जिसमें से 1 जन्म प्रमाण पत्र रजिस्ट्रेशनजेकेलोन हॉस्पिटल कोटा द्वारा 10 अगस्त2020 को जारी किया गया तथा दूसराजन्म प्रमाण पत्र 2 दिसंबर 2021 को जारीकिया गया है, जो कि प्रथम दृष्ट्याकूटरचित प्रकट होता है। इस प्रकार संबंधितऑपरेटर द्वारा पुराने जन्म सूचना जिस परजन्म प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया था,उस पर फर्जी प्रमाण पत्र जारी किया गया।इसी प्रकार अन्य फर्जी प्रमाण पत्रों के जारीकिए जाने की संभावना से इनकार नहींकिया जा सकता है। निगम की अेर से दीगई रिपोर्ट में 5 कंप्यूटर ऑपरेटरों के नामभी दिए गए हैं, जो उक्त अवधि में मुख्यहेल्पलाइन पर कार्यरत रहे।

यह भी पढ़ें: Deoria: ऑनलाइन परीक्षा केंद्र की फ्रेंचाइजी का झांसा, 15 लाख महीना कमाई का सपना दिखाकर साढ़े 4 लाख ठगे

बैठक में कलेक्टर ने लगाई थी फटकार

बता दें कि 20 जून को फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। इसमें बताया था कि नगर निगम में बैकडेट में जालीजन्म प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं, एक ही रजिस्ट्रेशन पर कई सर्टिफिकेट बन गए। इस खुलासे के बावजूद नगर निगम के स्तर पर इस संवेदनशील मामले को गंभीरता से नहींलिया गया। कलेक्टर ने एडीएम सिटी की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी गठित की तो कमेटीने निगम पहुंचकर रिकॉर्ड सीज किया। कलेक्टर के निर्देश के बावजूद मामले में एक माह तक निगम ने थाने में रिपोर्ट नहीं दी। सोमवार को हुई समीक्षा बैठक में भी कलेक्टर ने निगमअधिकारियों को फटकार लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे।

एक प्रमाणपत्र 15 मिनट तैयार

ग्राम पंचायतों में पंचायत सचिवों को अपनी आईडी और पासवर्ड से आमतौर पर एक प्रमाणपत्र बनाने में कम से कम 15 मिनट लग जाते हैं। कभी-कभी सर्वर डाउन होने की समस्या रहती है। सूत्रों के अनुसार एक आईडी और पासवर्ड से एक दिन में पांच सौ से एक हजार प्रमाणपत्र एक कंप्यूटर से बनाना असंभव है। अगर ऐसा होता है तो इसके लिए बड़ी संख्या में कंप्यूटर चाहिए। सभी में उसी आईडी-पासवर्ड का प्रयोग किया जाए। एक दिन में इतनी बड़ी संख्या में सर्टिफिकेट बनाना बड़ी साजिश को अंजाम देना हो सकता है। सलोन में फर्जीवाड़े के अब तक सामने आए सबूतों और जांच में घुसपैठियों की साठगांठ होने से इन्कार नहीं किया जा सकता।

यह भी पढ़ें: Azamgarh: पिता ने अपनी 4 साल की बेटी को कुएं में फेंका, कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास, सात गवाहों की हुई गवाही

Exit mobile version