West Bengal में शनिवार (8 जुलाई) को Panchayat Elections के मतदान के दौरान हुई हिंसा में अब तक 11 लोगों की जान चुकी है। हिंसा की घटनाओं को लेकर Home Minister Amit Shah ने State Government से रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने BJP के प्रदेश अध्यक्ष Sukanta Mazumdar से भी बात की और कार्यकर्ताओं के बारे में जानकारी ली।
पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए शनिवार को मतदान हुआ है। इस दौरान कई जगह हिंसा हुई है। अधिकारियों ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को बताया कि हिंसा में मारे गए लोगों में तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्य, बीजेपी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), कांग्रेस और इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के एक-एक कार्यकर्ता और एक अन्य व्यक्ति शामिल है। हिंसक झड़पों में कई लोग घायल भी हुए हैं। इसके अलावा राज्य के कई हिस्सों में मतदान केंद्रों पर मतपेटियों को नष्ट किए जाने की खबरें हैं।
बीजेपी ने की राष्ट्रपति शासन की मांग
इस हिंसा पर पश्चिम बंगाल के विपक्ष के नेता और बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि राज्यपाल ने राजीव सिन्हा (राज्य चुनाव आयुक्त) को नियुक्त करके सबसे बड़ी गलती की है। उन्होंने आरोप लगाया कि अब तक कई लोग मारे गए हैं, उन्हें टीएमसी के गुंडों ने मारा है। राज्य सरकार के तहत स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न होना बहुत मुश्किल है। ये तभी संभव है जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाये या अनुच्छेद 355 का इस्तेमाल किया जाए।
टीएमसी का विपक्ष पर आरोप
इस बीच सत्तारूढ़ टीएमसी ने विपक्षी दलों पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया और मतदाताओं की सुरक्षा करने में विफलता के लिए केंद्रीय बलों की आलोचना की। टीएमसी ने एक बयान में कहा कि आठ जून को पंचायत चुनाव की घोषणा होने के बाद से 27 लोग मारे गए हैं और उनमें से 17 लोग तृणमूल से हैं, जो कुल मौतों का 60 प्रतिशत से अधिक है।
बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए मतदान
कांग्रेस नेता अधीर चौधरी ने कहा कि चुनाव एक मजाक बन गया है क्योंकि टीएमसी के गुंडे खुलेआम घूम रहे हैं और लोगों का जनादेश लूट लिया गया है। बंगाल में जिला परिषदों, पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों के लिए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो रहा है। चुनावों के लिए राज्य पुलिस के करीब 70,000 कर्मियों के अलावा केंद्रीय बलों की 600 कंपनियां तैनात की गई हैं।