भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय तब जुड़ गया जब भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने Axiom Mission-4 के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा की। इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर अब देश भर से उन्हें बधाइयां मिल रही हैं। शनिवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और सांसद डिंपल यादव शुभांशु शुक्ला के लखनऊ स्थित निवास पर पहुंचे और उनके परिजनों को इस अद्भुत सफलता के लिए बधाई दी।
शुभांशु ने भारत का नाम रोशन किया: अखिलेश यादव
अखिलेश यादव ने इस अवसर पर कहा,
“शुभांशु ने न केवल लखनऊ, बल्कि पूरे भारत को गर्व का अनुभव कराया है। उनकी यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरेगी।”
उन्होंने और डिंपल यादव ने परिजनों से शुभांशु के बचपन, प्रशिक्षण और मिशन से जुड़ी दिलचस्प बातें भी जानीं। परिजनों ने बताया कि शुभांशु बचपन से ही अनुशासित, मेधावी और समर्पित विद्यार्थी रहे हैं। उनके इस मुकाम से पूरा परिवार गर्व से भर गया है।
राजनीतिक स्तर पर मिल रही है सराहना
शुभांशु के परिवार से इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, और केशव प्रसाद मौर्य भी मिल चुके हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शुभांशु से व्यक्तिगत रूप से संवाद किया था। देशभर में उनकी इस अंतरिक्ष यात्रा की सराहना की जा रही है।
41 साल बाद अंतरिक्ष में कोई भारतीय
शुभांशु शुक्ला 1984 के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं। उनसे पहले राकेश शर्मा ने सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से यात्रा की थी। Axiom-4 मिशन में शुभांशु की भागीदारी NASA और ISRO के बीच हुए समझौते का परिणाम है। यह अनुभव भारत के पहले मानव मिशन गगनयान में भी बेहद उपयोगी साबित होगा।
गगनयान मिशन में अहम भूमिका
गगनयान मिशन भारत का पहला पूर्ण मानव अंतरिक्ष अभियान होगा, जिसमें भारतीय गगनयात्री पृथ्वी की निचली कक्षा में जाकर लौटेंगे। इसे 2027 तक लॉन्च किए जाने की योजना है। शुभांशु का यह अनुभव उस मिशन में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
6 बार टला था मिशन, आखिरकार सफलता मिली
Axiom-4 मिशन की लॉन्चिंग प्रक्रिया में कई बार बाधाएं आईं:
- 29 मई: ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट तैयार नहीं था
- 8 जून: फाल्कन-9 रॉकेट तैयार नहीं था
- 10 जून: खराब मौसम
- 11 जून: ऑक्सीजन लीक
- 19 जून: क्रू मेंबर्स की सेहत और मौसम
- 22 जून: ISS मॉड्यूल मूल्यांकन
लेकिन इन सभी चुनौतियों को पार करते हुए शुभांशु और उनकी टीम ने सफलता प्राप्त की।
निष्कर्ष:
शुभांशु शुक्ला की यह सफलता सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि समूचे भारत के आत्मविश्वास, तकनीकी क्षमता और भविष्य की दिशा का प्रतीक है। उनका यह सफर न सिर्फ वैज्ञानिक महत्व रखता है, बल्कि युवाओं को यह संदेश देता है कि सपनों की उड़ान कोई सीमा नहीं जानती।