Moradabad: अमरोहा की रहने वाली शिफा ने अपने प्रेमी अनमोल के लिए धर्म की दीवार को तोड़ते हुए सनातन धर्म अपनाया और संध्या बनकर हिंदू रीति-रिवाज से शादी रचा ली। यह कहानी दो दिलों की है, जिन्होंने समाज की बेड़ियों को तोड़ते हुए अपने प्रेम को अंजाम तक पहुंचाया। प्यार और समर्पण की इस दास्तान ने यह साबित कर दिया कि सच्चे प्रेम के आगे कोई भी बाधा टिक नहीं सकती।
अमरोहा की शिफा, जो बाजार रज्जाक मोहल्ले की रहने वाली है, मुरादाबाद में प्राइवेट नौकरी के लिए आई थी। दो साल पहले, उसकी मुलाकात एक दोस्त के जरिये पाकबड़ा निवासी अनमोल से हुई, जो एक दुकान पर काम करता है। जल्दी ही दोनों के बीच प्रेम का अंकुर फूट पड़ा और वे एक साथ जीवन बिताने के सपने देखने लगे।
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धर्म की दीवार गिराई
हालांकि, शिफा के सामने सबसे बड़ी बाधा उसका धर्म था। लेकिन प्यार की ताकत के आगे मजहब की दीवारें टिक नहीं सकीं। शिफा ने सनातन धर्म अपनाते हुए अपना नाम बदलकर संध्या रख लिया। यह प्रक्रिया गोसेवा ट्रस्ट के सचिन सक्सेना के सहयोग से पूरी हुई।
हिंदू रीति-रिवाज की शादी
रविवार को आर्य समाज मंदिर में हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार, संध्या और अनमोल की शादी संपन्न हुई, जिसमें आचार्य प्रेमदेव शास्त्री ने विवाह की रस्में निभाईं। इस समारोह में अनन्या रानी और दीपक कुमार ने गवाह की भूमिका निभाई। गोसेवा ट्रस्ट के सचिव और अन्य सदस्यों ने वर-वधू को आशीर्वाद दिया।
संध्या ने बताया कि वह बचपन से ही शाकाहारी हैं और सनातन धर्म पर उनका पहले से ही विश्वास था। सात फेरे लेना उनके लिए एक सुखद अनुभव था। यह कहानी न केवल प्यार की जीत है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सच्चा प्यार किसी भी बाधा को पार कर सकता है, चाहे वह धर्म की दीवार ही क्यों न हो।
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