Ramdan: रमजान का पवित्र महीना शुरू होने वाला है। रमजान महीने का 30वां रोजा पूरा होने के बाद ईद का त्यौहार मनाया जायेगा। रमजान के महीने में लोग सिर्फ रोजा ही नहीं रखते हैं बल्कि पूरे दिल से अल्लाह की इबादत करते हैं। मुस्लिम धर्म गुरुओं का कहना हैं कि रमजान का महीना बरकतों से भरपूर होता हैं। अल्लाह तआला इस महीने में अपनी खास रहमत नाज़िल करता हैं।
उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद जिले के डासना के एक मदरसे के संचालक मौलाना अशरफ का कहना हैं कि रमजान के महीने में अल्लाह सभी गुनाहों को माफ़ करता हैं। अल्लाह के बारगाह में हाथ उठाने वाले सभी के दुआओ को कबूल करता हैं। इसके साथ अल्लाह तआला फरिश्तों को हुक्म देते हैं कि रोजा रखने वालो कि दुआओ पर आमीन कहें। जो शख्स मुकम्मल ईमान के साथ अल्लाह की रज़ा के लिए रोज़ा रखता हैं अल्लाह उसके सभी पुराने गुनाहों को माफ़ कर देता हैं।
मौलाना अशरफ का कहना हैं कि इस महीने में मुसलमानों को अपने से गरीब और वंचितों का खास ध्यान रखना चाहिए। इतना ही नहीं जो लोग रोजा रखते हैं उन्हें और भी कई चीजों का खास ख्याल रखना होता हैं। क्योकि रोजेदारों कि जरा सी गलती से रोजा टूटू जाता हैं या मक़रूर हो जाता हैं। इसलिए सेहरी से लेकर इफ्तार तक इन चीजों का खास ख्याल रखना चाहिए।
मौलाना अशरफ ने रोजा टूटने और मक़रूर होने के कई कारण बताए। इसमें आँखों का पर्दा भी एक अहम् चीज मानी जाती हैं। इसका मतलब ये हैं कि रोजा रखने के बाद अगर रोजदार किसी को गलत निगाहों से देखता हैं तो उसका रोजा मक़रूर हो जाता है। इसके अलावा झूठ बोलने या पीठ पीछे चुगली या बुराई करने पर भी रोजा टूट जाता हैं।
जो लोग सेहरी के बाद या इफ्तार से पहले जानबूझकर पानी पी लेते हैं या कुछ खा लेते हैं तो उनका रोजा टूटू जाता हैं। इसके अलावा रोजेदार के दांत में कुछ खाने का टुकड़ा फंसा हुआ हैं और वह उसे निगल जाता हैं तो इससे भी उसका रोजा मक़रूर हो सकता हैं। वही किसी को गाली देना, बुरा-भला कहना या बिना बीमारी के गैर जरुरी इंजेक्शन लगवाना से भी रोजा टूट जाता हैं। रमजान (Ramdan) के महीने में बताए गए कुछ जरुरी बातों का खास ख्याल रखना चाहिए।