सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पत्रकारों या राजनीतिक विचारों को दबाने के लिए सरकारी तंत्र का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यही नहीं ट्विटर युग में पत्रकारों को भी अधिक जिम्मेदारी और सजगता से काम करना चाहिए। साथ ही साथ विचारों के स्तर पर राजनीतिक वर्ग को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।
इन टिप्पणियों के साथ ही जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने पश्चिम बंगाल में प्रकाशित लेखों के संबंध में एक समाचार वेब पोर्टल के संपादकों के खिलाफ मामले को रद्द कर दिया।