Uttarakhand: आजकल लिव इन रिलेशनशिप का ट्रेंड कई शहरों में खूब चल रहा है। कई कपल बिना शादी के साथ रह रहे है और बच्चे भी पैदा कर लेते है। लेकिन कुछ समय के बाद ही जब रिलेशनशिप में खटास आने लगती है तो ब्रेकअप करने तक की नौबत आ जाती है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में, जहाँ एक कपल पिछले कई सालों से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे।
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उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहाँ लाइव रिलेशनशिप में रहने वाले एक कपल ने एक, दो नहीं बल्कि तीन बच्चों को जन्म दिया। वही जब बच्चों के पालन-पोषण में परेशानी आने लगी तो प्रेमी ने प्रेमिका और बच्चों से किनारा कर लिया। बेसहारा और बेबस प्रेमिका ने अब महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया है।
मिली जानकारी के अनुसार लिव इन में रेलशनशिप में दोनों का प्यार इस क़दर परवान चढ़ा कि वो भूल गए थे कि वो शादीशुदा नहीं हैं। प्रेमी-प्रेमिका दोनों पति-पत्नी कि तरह रह रहे थे। इसी बिच कपल के तीन बच्चे हो गए थे। प्रेमिका कि माने तो जब तीसरे बच्चे का जन्म हुआ तो दोनों के रिश्ते में दरार आने लगा। धीरे-धीरे प्यार कम हो गया और प्रेमी ने प्रेमिका और बच्चों से किनारा कर लिया। प्रेमी ने प्रेमिका और बच्चों की जिम्मेदारी उठाने से साफ़ इंकार कर दिया।
बेबस और बेसहारा प्रेमिका को मजबूरन राज्य महला आयोग का दरवाजा खटखटाना पड़ा। प्रेमिका ने महिला आयोग से शिकायत में खुद प्रेमी की पत्नी बताया और कहा कि उसके पति ने उसे छोड़ दिया है। हालाँकि जब मामले कि जाँच की गई तो पता चला कि दोनों कि शादी नहीं हुई थी और दोनों कई सालों से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे। आखिर में राज्य महिला आयोग ने प्रेमी को बुलाकर दोनों में सुलह कराई तब प्रेमी ने बच्चों को खर्च देने की बात मान ली।
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उत्तराखंड राज्य महिला आयोग कुसुम कंडवाल का कहना है कि इन्ही समस्याओं के समाधान के लिए सरकार ने सामान नागरिक सहिंता यानि UCC के तहत लिव इन रिलेशनशिप का का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया है। अगर कपल ने रजिस्ट्रेशन करवाया होता होता ना सिर्फ कानूनी रूप से महिला को भरण-पोषण मिलता बल्कि बच्चों को संपत्ति में अधिकार मिलता। हालाँकि कपल का रिश्ता कानूनी रूप से मान्य नहीं है इसलिए हम इसमें कुछ नहीं कर सकते है।