Captain Anshuman Singh

Captain Anshuman Singh: कैप्टन अंशुमान के परिवारिक विवाद का मामले ने अलग मोड़ ले लिया है। आर्मी के दावों और माता-पिता की बातों में खासा अंतर देखने को मिल रहा है। बता दें कि सियाचिन में 19 जुलाई 2023 को सेना के टेंट में आग लगने से शहीद हुए देवरिया के कैप्टन अंशुमान के परिवार को आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड से 1 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की गई है। यह रकम अंशुमान के माता-पिता और उनकी पत्नी स्मृति में आधी-आधी बांटी गई है। शहीद के परिवार की शिकायतों और आर्मी के दावों के बीच, इस सहायता की राशि ने कई मुद्दों को जन्म दिया है।

शहीद के माता-पिता का क्या है कहना

दरअसल, कैप्टन अंशुमान के माता-पिता ने हाल ही में बताया कि उनकी बहू ने शहीद के मरणोपरांत प्राप्त कीर्ति चक्र को भी छूने नहीं दिया। उनके बेटे के निधन के बाद बहू सम्मान लेकर चली गई। उनका यह भी कहना है कि परिवार के पास अब कुछ नहीं बचा। वहीं उनकी अपील है कि आर्मी को शहीद के परिवार को मिलने वाली वित्तीय सहायता के नियमों में बदलाव करना चाहिए।

आर्मी की ओर से शहीद मिले 1 करोड़

आर्मी के सूत्रों ने जानकारी दी कि आर्मी की ओर से शहीद के माता-पिता को 50 लाख रुपए और पत्नी को 50 लाख रुपए दिए गए हैं। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश सरकार ने भी शहीद के परिवार को 50 लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की थी, जिसमें 15 लाख रुपए माता-पिता और 35 लाख रुपए पत्नी स्मृति को दिए गए थे। इसके बावजूद, शहीद के माता-पिता का कहना है कि वित्तीय सहायता के नियमों में बदलाव होना चाहिए।

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आर्मी अधिकारियों ने बताया कि जब एक अधिकारी सेना में नियुक्त होता है, तो वह आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड (AGIF) और प्रॉविडेंट फंड (PF) के लिए सबसे करीबी नॉमिनी का नाम देता है। कैप्टन अंशुमान मार्च 2020 में आर्मी मेडिकल कॉर्प्स में शामिल हुए थे। पत्नी स्मृति को आर्मी के अधिक लाभ इसलिए मिल रहे हैं क्योंकि अंशुमान ने उन्हें अपना नॉमिनी बनाया था।

हालांकि, पेंशन के मामले में एक ही नॉमिनी बनाया जा सकता है। कैप्टन अंशुमान ने अपनी पत्नी को नॉमिनी बनाया था, जबकि इन्श्योरेंस फंड और PF में पत्नी और माता-पिता के बीच रकम को आधा-आधा बांटा जा सकता है। वहीं, अधिकारी ने यह भी बताया कि अंशुमान के पिता आर्मी में रिटायर्ड जेसीओ (JCO) हैं और उन्हें पेंशन और आर्मी की अन्य सुविधाएं प्राप्त होती हैं।

पत्नी ने कहा- सीने पर गोली खाकर मरना चाहते थे

सम्मान समारोह के बाद, स्मृति ने भावुक होते हुए कहा कि अंशुमान के शहीद होने की सूचना ने उनके 50 साल के सपनों को तोड़ दिया। स्मृति ने बताया कि कैप्टन अंशुमान बहुत सक्षम थे और अक्सर कहा करते थे कि वे अपने सीने पर गोली खाकर मरना चाहते हैं, ताकि उनकी मौत को याद रखा जाए।

स्मृति ने आगे कहा कि उनकी मुलाकात इंजीनियरिंग कॉलेज के पहले दिन हुई थी और यह पहली नजर का प्यार था। उन्होंने शादी के दो महीने बाद ही अंशुमान की सियाचिन में पोस्टिंग की खबर सुनी। 18 जुलाई 2023 को उन्होंने लंबी बातचीत की थी कि उनके भविष्य की योजनाएं कैसी होंगी, लेकिन 19 जुलाई की सुबह एक फोन कॉल ने उनके जीवन को बदल दिया, जिसमें बताया गया कि कैप्टन अंशुमान शहीद हो गए हैं।

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