Chardham Yatra

Chardham Yatra: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू आज यानी अक्षय तृतीया यानी शुक्रवार के दिन हो रही है। गढ़वाल के उच्च क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के कपाट शीतकाल के दौरान छह माह बंद रहने के बाद श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। इसके साथ ही इस साल की चारधाम यात्रा का आरंभ हो जाएगा।

कब-कब खुलेंगे कपाट

मंदिर समितियों की जानकारी के हिसाब से केदारनाथ और यमुनोत्री के कपाट सुबह 7 बजे खुलेंगे। वहीं, गंगोत्री के कपाट दोपहर बाद 12 बजकर 20 मिनट पर खुलेंगे। इसके साथ ही, बदरीनाथ के कपाट 12 मई को सुबह छह बजे खुलेंगे। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के हरीश गौड़ ने बताया कि केदारनाथ मंदिर के कपाटोद्घाटन के लिए मंदिर को फूलों से सजाया जा रहा है। यह भी बताया कि दानदाताओं के सहयोग से मंदिर को विभिन्न प्रजातियों के करीब 20 क्विंटल फूलों से सजाया जा रहा है, जो हेलीकॉप्टर के माध्यम से वहां पहुंचाए गए हैं।

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यात्रा में मौसम पड़ सकता है भारी

इस बीज मौसम विभाग की माने तो बारिश की संभावना जताई है। मौसम विज्ञान ने येलो अलर्ट भी जारी किया गया है। पूर्वानुमान है कि शुक्रवार को चारधाम में बारिश होने के साथ ही कुछ हिस्सों में हल्की बूंदाबांदी होगी। इसके साथ ही प्रदेशभर में तेज हवाएं और ओलावृष्टि का भी आसार जताये जा रहे है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि 13 मई तक उत्तराखंड में मौसम का मिजाज बदला रहेगा। खासकर चारों धामों में ज्यादा बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है। इसके लिए येलो अलर्ट भी जारी किया गया है।

दरअसल, बारिश से प्रदेशभर में तापमान नीचे गिरेगा। इससे मैदानी क्षेत्रों में लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी। लेकिन अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ठंड बढ़ने की संभावना है। इसलिए चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को पूरी तैयारी के साथ आने की सलाह दी गई है। गर्म कपड़े, रेनकोट और जरूरी सामान के साथ आने को कहा गया है।

प्रदेश की जंगलों को राहत

वहीं, उत्तराखंड में जल रहे जंगलों को बारिश से राहत मिलने की आशंका है। राहत की बात करें तो गुरुवार को प्रदेश के जंगलों में आग लगने की एक भी घटना सामने नहीं आई है। जबकि 8 मई को 25 जगह आग लगने की सूचना मिली थी। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है बारिश से जंगलों की आग बुझ गई है। जिससे काफी राहत मिली है। प्रदेश में आग लगने की 1063 घटनाएं हो चुकी हैं। जिसमें 1437 सेक्टर जंगल को नुकसान हुआ है।

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