Coaching Accident

Coaching Accident: दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित एक प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान के बेसमेंट में पानी भरने के कारण तीन छात्रों की मौत हो गई। इस दुखद घटना के बाद दिल्ली फायर सर्विस ने एक बयान जारी किया है। दिल्ली फायर सर्विस के डायरेक्टर अतुल गर्ग ने बताया कि इस हादसे के लिए कोचिंग सेंटर में लगा लोहे का गेट जिम्मेदार था। उनका कहना है कि यह गेट सड़क पर बहने वाले पानी को रोकने के लिए लगाया गया था, लेकिन एक ट्रक के दबाव के कारण यह गेट टूट गया और सड़क से बहता पानी बेसमेंट में भरने लगा।

फायर सर्विस के डायरेक्टर के बयान पर विवाद शुरू हो गया है। सवाल उठ रहा है कि ट्रक सड़क पर से गुजर रहा था, लेकिन कोचिंग सेंटर सड़क से कुछ हद तक हटा हुआ था। ऐसे में कोचिंग सेंटर के अंदर लगे लोहे के गेट के टूटने की संभावना कैसे उत्पन्न हुई? डायरेक्टर ने इसे एक संभावना के रूप में बताया है और घटना की गहन जांच की जा रही है। इस हादसे के बाद खुद दिल्ली फायर सर्विस भी सवालों के घेरे में आ गई है, क्योंकि उनकी नियमावली के अनुसार, बेसमेंट में इस प्रकार की व्यावसायिक गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जा सकती।

मध्य जिला पुलिस उपायुक्त एम हर्षवर्धन ने बताया मरने वालों की पहचान हो गई है। इसमें एक लड़की यूपी के अंबेडकर नगर और छात्र केरल का रहने वाला है, जबकि दूसरी छात्रा तेलंगाना की रहने वाली है। पुलिस ने बीएनएस की धारा 105, 106(1), 152, 290 और 35 के तहत मुकदमा पंजीकृत किया है। 

स्टूडेंट का MCD के खिलाफ प्रदर्शन

हादसे के बाद स्टूडेंट ने MCD के खिलाफ प्रदर्शन किया। सुबह एक प्रदर्शनकारी छात्र ने दावा किया कि 8-10 लोगों की जानें गई हैं। MCD इसे डिजास्टर बता रही है, लेकिन यह पूरी तरह से लापरवाही का मामला है। आधे घंटे की बारिश में ही घुटने तक पानी भर जाता है। एक मकान मालिक ने बताया कि वे 10-12 दिनों से MCD से कह रहे हैं कि ड्रेनेज सिस्टम तुरंत सही करना चाहिए। अन्य प्रदर्शनकारी छात्र ने बताया कि दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए और हादसे में घायल होने और जान गंवाने वालों की सही संख्या बताई जानी चाहिए।

Coaching Accident

फायर सर्विस ने कोचिंग सेंटर को एनओसी कैसे दी?

इसके बावजूद, कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में विधिवत क्लासेज संचालित हो रही थीं। इससे सवाल उठता है कि दिल्ली फायर सर्विस ने इस कोचिंग सेंटर को एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) कैसे प्रदान की। यदि एनओसी नहीं दी गई थी, तो यह कोचिंग सेंटर बिना फायर एनओसी के कैसे चल रहा था?

फायर ऑफिसर ने बताया कि फायर ब्रिगेड की 5 गाड़ियां भेजी गई थीं। सड़क पर पानी भरे होने के कारण शुरुआत में बेसमेंट से पानी नहीं निकल रहा था। कुछ देर बाद जब सड़क से पानी कम हुआ, तब जाकर बेसमेंट से पानी निकलना शुरू हुआ। हमने पंप लगाकर पानी निकाला। इसके बाद छात्रों के शव मिलना शुरू हुए।

पुलिस ने बताया कि रेस्क्यू के दौरान पानी में बेंच तैर रही थी। इसलिए बच्चों को बाहर निकालने में दिक्कतें हुईं। ​​​​​​देर रात को जब रेस्क्यू आखरी चरण में था, तब भी 7 फीट तक पानी अंदर भरा हुआ था। 14 बच्चों को रस्सियों के सहारे सुरक्षित निकाला गया।

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बेसमेंट में फंसे रहे छात्र

बेसमेंट में एक ही निकास होने के कारण छात्रों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया। कुछ छात्रों ने तैरकर बाहर निकलने में सफलता प्राप्त की, जबकि कुछ ने दीवारों और अन्य सहारों का सहारा लेकर अपनी जान बचाने की कोशिश की। इसके बावजूद, उचित सहायता नहीं मिलने पर दो लड़कियों समेत तीन छात्रों की डूबने से मौत हो गई।

MCD पर कड़ी कार्रवाई

ओल्ड राजेंद्र नगर घटना पर दिल्ली मेयर शैली ओबेरॉय ने कहा कि “कल बहुत ही दुखद घटना हुई… जैसी ही घटना की जानकारी मिली मैं तुरंत घटनास्थल पर पहुंचीं। वहां पर NDRF की टीम बचाव अभियान कर रही थी। दु:ख की बात है कि इस घटना में तीन बच्चों की मौत हो गई। मैंने कमिश्नर MCD को एक पत्र लिखा है जिसमें वो संस्थान जो MCD के क्षेत्राधिकार में आते हैं और वहां पर कानून के विरोध बेसमेंट में कोचिंग सेंटर चल रहे हैं उस पर सख्त कार्रवाई हो। अगर इस मामले MCD अधिकारी शामिल मिलते हैं तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो। अगर ऐसे गैर कानूनी तरीके से कोचिंग सेंटर चल रहे हैं तो उस पर कार्रवाई होगी और अधिकारी पर भी कार्रवाई होगी ऐसे समय में हमें आरोप-प्रत्यारोप नहीं करना चाहिए बल्कि कार्रवाई करनी चाहिए।

2021 में MCD की ओर से राउ IAS कोचिंग सेंटर को MCD की ओर से सर्टिफिकेट जारी किया गया था। इसमें कहा गया था कि बेसमेंट में सिर्फ स्टोरेज की अनुमति है। वहां कोई व्यवसायिक गतिविधि नहीं चलाई जा सकती है। घटना के बाद MCD ने कहा है कि कोचिंग सेंटर में लाइब्रेरी अवैध रूप से चलाई जा रही थी।

फायर सर्विस की नियमावली

फायर सर्विस की नियमावली के अनुसार, किसी भी प्रतिष्ठान के बेसमेंट में व्यावसायिक गतिविधियों की अनुमति नहीं होती। यदि ऐसा पाया जाता है, तो संबंधित राज्य की फायर सर्विस उस प्रतिष्ठान की फायर एनओसी को रद्द कर सकती है। एनओसी के नवीकरण के दौरान हर तीन साल में फायर सर्विस के अधिकारी मौके पर जाकर बेसमेंट का मुआयना करते हैं। इस मुआयने में विशेष ध्यान रखा जाता है कि बेसमेंट में किसी प्रकार का अस्थायी निर्माण या गोदाम न हो।

इस घटना ने फायर सर्विस की नियमावली और उनके कामकाज पर सवाल खड़ा कर दिया है, और कोचिंग सेंटर के संचालन की वैधता पर भी चर्चा शुरू हो गई है।

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