देवरिया: बीआरडी मेडिकल कालेज में घूस देकर नौकरी पाने के लालज में दो लोग ने 3.40 लाख रुपये गंवा बैठे। जालसाज ने घूस की रकम बाकायदा बैंक खाते के माध्यम से ली। मामले मेें अभी कोई एफआईआर नहीं दर्ज हुई है।
सदर कोतवाली के पिपरपाती गांव निवासी स्कंदनी मिश्र और अमित मिश्र ने सोमवार को इस संबंध में एसपी को शिकायती पत्र दिया है। इनके मुताबिक, एक जालसाज और उसकी पत्नी ने उन्हें कुछ रकम खर्च करने पर नौकरी दिलवाने का झांसा दिया।
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इस मामले मेें जालसाज भी गजब बेखौफ निकला। उसने घूस की सारी रकम, टुकड़ों मेें बैंक खाते के माध्यम से ली। जब काफी समय गुजरने के बाद भी वह नौकरी नहीं दिलवा पाया तो स्कंदनी और अमित ने उससे पैसे लौटाने को कहा, मगर उसने रुपये वापस नहीं किए। उलटे वह दोनों को बुरे परिणाम की धमकी देने लगा। दोनों ने एसपी को बताया कि ये रुपये उन्होंने परिचितों से कर्ज लेकर जालसाजों को दिए थे।
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धोखाधड़ी के मामले में कानून में खामी है। दरअसल यह केवल जालसाजी करने वाले के खिलाफ काम करता है। जबकि, हकीकत है ज्यादातर मामलों में पीड़ित अपने लालच की वजह से धोखे का शिकार होता है। यदि वह लालच न करें तो उसे कोई भी ठग नहीं सकता। इतना ही नहीं, खुद के फायदे के लिए, जालसाजी को बढ़ावा भी मिल रहा है। मसलन, इस केस में जालसाजी का शिकार दोनों ही लोगों को मालूम था कि घूस देकर नौकरी पाना गलत है। बावजूद इसके इन्होंने नौकरी के लिए 3.40 लाख रुपये जालसाज को दे डाले।
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यदि ये दोनों नौकरी के लिए गैरकानूनी रास्ता न अपनाते तो उन्हें जालसाजी का शिकार न होना पड़ता। ध्यान से देखें तो इस तरह की जालसाजी, शिकार बने व्यक्ति की वजह से होती है, जब तक नौकरी मिलाने की उम्मीद होती है तब तक सब ठीक रहता है मगर बाद मेें वे सब कुछ गंवाकर वही लोग पीड़ित बन जाते हैं। कई बार यह मुद्दा उठा है कि जिस तरह रिश्वत-दहेज लेना-देना दोनों जुर्म है, उसी तरह धोखाधड़ी में पीड़ित का गलत इरादा पाए जाने पर उसके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। यदि कानून में यह संशोधन हो जाए तो धोखाधड़ी की ऐसी घटनाएं काफी कम हो सकती है।