Gold Price: बजट के बाद सोने और चांदी की कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट देखने को मिली है। 23 जुलाई से 27 जुलाई के बीच सोना लगभग 5000 रुपये प्रति 10 ग्राम और चांदी करीब 8000 रुपये प्रति किलोग्राम सस्ता हो गया है। यह गिरावट वित्त मंत्री द्वारा बजट में सोने पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी को 15% से घटाकर 6% करने की घोषणा के बाद आई है। इस राहत भरी खबर ने सोने की खरीदारी में तेजी ला दी है, और निवेशक इसे खरीदने का एक अच्छा मौका मान रहे हैं। हालांकि, कमोडिटी एक्सपर्ट इस मौजूदा स्थिति को लेकर सतर्क हैं और भविष्य में सोने और चांदी की कीमतों में और गिरावट की आशंका जता रहे हैं।
कमोडिटी-करेंसी का क्या कहना
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के कमोडिटी-करेंसी प्रमुख अनुज गुप्ता ने बताया कि सोने की कीमत में और गिरावट की संभावना है। उन्होंने कहा कि एमसीएक्स पर उपलब्ध सभी अनुबंधों पर नजर डालें तो सोने की कीमत और नीचे आ सकती है। इसके अलावा, अमेरिका के मजबूत जीडीपी आंकड़े, बढ़ती महंगाई से राहत, भू-राजनीतिक तनाव में कमी और दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों द्वारा सोने की खरीदारी कम करने जैसी कई अन्य वजहें भी सोने की कीमत में गिरावट का कारण बन रही हैं। उनका मानना है कि आने वाले दिनों में सोने की कीमतें 65,000 रुपये से 68,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती हैं। इसीलिए, यदि आप निवेशक हैं तो थोड़ा इंतजार करना बेहतर होगा। ज्वैलरी की खरीदारी करनी है तो कुछ खरीदारी अभी कर लें और बाकी के लिए इंतजार करें।
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विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले एक साल में सोने और चांदी की कीमतों में काफी वृद्धि हुई है। सोना इस अवधि में लगभग 25% महंगा हो चुका है, जबकि चांदी की कीमतें करीब 30% बढ़ी हैं। इस समय सोने और चांदी में एकतरफा तेजी देखी गई है। अब वैश्विक और घरेलू हालात बदल रहे हैं, जिससे सोने की कीमतों में शॉर्ट टर्म में तेजी की संभावना कम है। इसके बजाय, कीमतों में और गिरावट की संभावना जताई जा रही है।
सोने की कीमत में गिरावट की आशंका के प्रमुख कारण
- बाजार की धारणा: अमेरिका की मजबूत जीडीपी आंकड़े, भू-राजनीतिक तनाव में कमी और वैश्विक शेयर बाजारों में तेजी के कारण निवेशकों की धारणा में बदलाव आया है। सोने की मांग आमतौर पर अनिश्चितता के समय बढ़ती है। जब बाजार से अनिश्चितता कम हो जाती है, तो सोने की मांग भी घट जाती है। मौजूदा समय में अनिश्चितता कम हो रही है, जिससे निवेशक सोने के बजाय अन्य निवेश विकल्पों की ओर रुख कर सकते हैं। ये सभी फैक्टर्स सोने की कीमतों को नीचे ले जाने का काम करेंगे।
- केंद्रीय बैंकों की नीतियां: केंद्रीय बैंकों की नीतियां और उनकी ओर से की जाने वाली सोने की खरीदारी सोने की कीमतों को बढ़ाने में मदद करती हैं। वर्तमान में दुनियाभर के केंद्रीय बैंक सोने की खरीदारी कम कर रहे हैं, जिससे सोने की मांग में कमी आ रही है और कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है।
- मुद्रा की मजबूती: अमेरिकी डॉलर की मजबूती भी सोने की कीमतों में गिरावट का एक कारण हो सकती है। जब डॉलर मजबूत होता है, तो अन्य मुद्राओं का उपयोग करने वाले खरीदारों के लिए सोना महंगा हो जाता है, जिससे सोने की मांग में कमी आ सकती है।
- वैश्विक घटनाक्रम: भू-राजनीतिक तनाव, प्राकृतिक आपदाएं और महामारी जैसी वैश्विक घटनाएं सोने की कीमतों को प्रभावित करती हैं। जब स्थिति सामान्य होने लगती है, तो सोने की कीमत स्थिर हो जाती है और कभी-कभी गिरावट भी देखने को मिलती है।
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