Health Effect: संपूर्ण उत्तर भारत में जलती है आग की लपटें, जबकि हवा भी अत्यधिक गरम है। दिल्ली के तीन केंद्रों में पारा 50 डिग्री सेल्सियस के पार हो गया है, और राजस्थान के चुरु और फलौदी जैसे शहरों में भी तापमान 50 को पहुंच चुका है। हरियाणा के सिरसा में भी समय-समय पर ऐसी ही स्थिति है। उत्तर प्रदेश के झांसी में तापमान ने 49 डिग्री का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। मौसम विभाग के वैज्ञानिक भी इस बारे में चिंतित हैं और कह रहे हैं कि ऐसी तेज गर्मी असाधारण है। इतनी उच्च तापमान में, थोड़ा भी बिना संरक्षण के बाहर निकलना खतरनाक हो सकता है।
हम आपको बताते हैं कि जब तापमान 48 डिग्री से 50 डिग्री सेल्सियस के बीच घूमता है तो मानव शरीर के लिए कितना खतरनाक हो जाता है। हम आगे आपको बताएंगे कि ब्रेन से लेकर शरीर के अलग हिस्सों में ये गर्मी कैसे अलग और गंभीर असर करती है। सामान्य मानव शरीर का तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है जो 37 डिग्री सेल्सियस के बराबर होता है।आमतौर पर माना जाता है कि अधिकतम तापमान जिस पर मनुष्य जीवित रह सकता है वह 108.14 डिग्री फारेनहाइट या 42.3 डिग्री सेल्सियस है।
48 से 50 डिग्री सेल्सियस होती है ये समस्या
जब तापमान 48 से 50 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है, तो मानव शरीर के लिए यह काफी खतरनाक हो सकता है। आइए जानते हैं कि इसमें शरीर के विभिन्न हिस्सों पर कैसा प्रभाव पड़ता है।
मस्तिष्क पर प्रभाव: तापमान 50 सेल्सियस से अधिक होने पर मस्तिष्क को बड़ा नुकसान पहुंचता है। यहाँ तक कि अनुभव हो सकता है कि मस्तिष्क कोशिकाएं मर जाएँ।
हृदय और रक्त धारण प्रणाली पर प्रभाव: शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए हृदय को अधिक काम करना पड़ता है, जिससे उसमें दबाव बढ़ता है।
मांसपेशियों पर प्रभाव: उच्च तापमान में मांसपेशियों में ऐंठन हो सकती है और काम करना मुश्किल हो सकता है।
त्वचा पर प्रभाव: गर्मी के कारण चकत्ते हो सकते हैं और त्वचा में रक्त कोशिकाएं फट सकती हैं।
श्वसन तंत्र: सांस लेने की दर बढ़ जाती है, जिससे तेज, उथली सांस लेने की समस्या हो सकती है।
पाचन तंत्र: निर्जलीकरण और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के कारण मतली, उल्टी और दस्त हो सकते हैं।
ऐसी स्थिति में अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए अपने आप को ठंडा रखने का प्रयास करें, पर्याप्त पानी पिएं, और अधिक मेहनत करने से बचें।
39 से 50 डिग्री में होती है ब्रेन में परेशानी
39 डिग्री सेल्सियस से अधिक उच्च मस्तिष्क तापमान मस्तिष्क की कई तरह से चोट दे सकता है। मसलन अमीनो एसिड बढ़ना, मस्तिष्क से ब्लीडिंग और न्यूरोनल साइटोस्केलेटन के प्रोटियोलिसिस में वृद्धि। वही, 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान विभिन्न प्रकार की मस्तिष्क कोशिकाओं पर विनाशकारी प्रभाव डालता है। 50 डिग्री सेल्सियस ऐसा काफी ज्यादा तापमान है जो मस्तिष्क कोशिकाओं को तेजी से नुकसान पहुंचाता और फिर इस नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती। नाटकीय रूप से मस्तिष्क का संतुलन और ऑक्सीजन की खपत को कम कर देता। लिहाजा इस तापमान पर बाहर निकलना घातक होगा।
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