Manipur Chirharan Special

Manipur Chirharan Special: यहां बात सिर्फ आरोप-प्रत्‍यारोपों की नहीं है। सवाल सिस्‍टम के बड़े फेलियर का है। क्‍या सिर्फ वीडियो वायरल होने के बाद सरकार के संज्ञान में कोई घटना आएगी? उसका तंत्र क्‍या कर रहा है? क्‍यों दो महीने तक कोई कार्रवाई नहीं हुई? क्‍या लोगों की निशानदेही नहीं की जा सकती थी? ऐसे कई बड़े सवाल हैं। घटना का वीडियो बहुत परेशान करने वाला है। समाज में रहने वाला व्यक्ति इस वीडियो को देखते ही गुस्से से लाल हो रहा हैं, इतिहास साक्षी है जब भी किसी आतातायी ने स्त्री का हरण किया है या चीरहरण किया है उसकी क़ीमत संपूर्ण मनुष्य ज़ाति को चुकानी पड़ी है। हमें स्मरण रखना चाहिए- स्त्री का शोषण, उसके ऊपर किया गया अत्याचार, उसका दमन, उसका अपमान.. आधी मानवता पर नहीं बल्कि पूरी मानवता पर एक कलंक की भाँति है। एक समाज के रूप में क्या हम सचमुच मर गए हैं? एक पांचाली के चीरहरण से राजवंश नष्ट हो गए और यहाँ पार्टियों के पक्षकार अभी भी अपनी-अपनी दुकानों और मालिकों को जस्टिफ़ाई कर रहे हैं ? अब ‘लोकतंत्र’ के चार चरण विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका व पत्रकारिता को एक दूसरे के साथ लय से लय मिलाकर चलना होगा। तभी वे लोक को अमानुषिक कृत्यों के प्रलय के ताप से मुक्त कर पाएंगे।

-प्रियंका सौरभ

महिलाओं के साथ अत्याचार कहीं नहीं होना चाहिए। लेकिन कम से कम मणिपुर कांड को इग्नोर मत कीजिए। दूसरे उदाहरण देकर मामले को हल्का मत कीजिए, वरना जब आज के दौर का इतिहास लिखा जाएगा तो यही कहा जाएगा कि देश के एक कोने में महिलाओं के कपड़े उतारे गए थे और लोग दूसरे राज्यों की तरफ मुंह करके खड़े थे। जब मणिपुर में महिलाओं का चीर हरण देखकर लोगों का खून खौल रहा है तो कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि राजस्थान और बंगाल में जब महिलाओं से अत्याचार होता है तो देश में इतना हंगामा क्यों नहीं होता? कुछ लोग टूलकिट एंगल भी ले आए हैं। मणिपुर कांड पर सवाल पूछने पर जवाब नहीं उल्टे आपसे ही सवाल पूछे जा रहे हैं कि तब कहां थे? तब क्यों नहीं लिखा? तब क्यों नहीं बोला? संसद में क्यों हंगामा नहीं हुआ? मतलब इस घिनौने कांड पर सियासी खेल शुरू हो गया है। लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है और एक पक्ष यह भी है। मान लेते हैं। लेकिन क्या इस तर्क के आगे दंडवत होकर हम सभी को मणिपुर से अपनी आंखें हटा लेनी चाहिए। क्या सभी को धृतराष्ट्र बन जाना चाहिए? शर्म है, कलियुग का ऐसा कालखंड आया है कि दु:शासनों की भीड़ इंसानियत की देह से कपड़े उतारती है और कोई उन्हें बचाने नहीं आता।

यह भी पढ़ें:- भारत की बाढ़ प्रबंधन योजना का क्या हुआ?

बचाना तो छोड़िए दो महीने तक गुस्सा भी नहीं दिखता। अगर सवाल का जवाब सवाल से ही देना है तब तो हर क्राइम के बाद यही कीजिए। न सरकार को कुछ कहने की जरूरत पड़ेगी, न पुलिस को। हर चीज का कारण तो होता ही है फिर सरकार का क्या रोल है? शासन-प्रशासन क्राइम को नहीं रोक सकता, अंकुश तो लगा सकता है न, चलिए मान लिया अंकुश न सही तो क्राइम होने पर अपराधियों को सजा तो दिलवा ही सकता है न। या फिर सब हवा हवाई है। राजस्थान हो या बंगाल, अगर वहां से भी वीडियो आया होता तो बेशक पूरे देश में गुस्सा देखा जाता और घटना होने पर गुस्सा देखा गया है। संसद तक हंगामा भी होता। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मणिपुर या दूसरे किसी राज्य में इस तरह की दरिंदगी को इग्नोर कर दिया जाए। जान लीजिए कि यह जनता की अति-अपेक्षा का ही नतीजा है कि लोग मणिपुर में इस तरह की सुस्ती की उम्मीद नहीं कर रहे थे। 9 साल में जनता ने यही जाना और समझा है कि यह सरकार पिछली सरकारों से ज्यादा सख्त और क्राइम-करप्शन पर ‘जीरो टॉलरेंस’ के रास्ते पर चल रही है। वहां तो दो इंजन वाला फॉर्म्युला भी था। केंद्र और राज्य में भी भाजपा की सरकारें हों तो फिर ताबड़तोड़ छापेमारी करने में दो महीने कैसे लग गए?

यह भी पढ़ें:- Flood Special: आखिर क्यों नदियां बनती हैं खलनायिकाएं?

महिलाओं को नग्न अवस्था में घुमाने का वीडियो सामने आने के बाद पूरे देश में गुस्‍सा है। इसे लेकर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। चीफ जस्टिस ने कहा है कि ऐसी घटना को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह मानवाधिकारों और संविधान का सबसे बड़ा उल्लंघन है। इस मामले में उन्‍होंने सॉलिसिटर जनरल और अटॉर्नी जनरल को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है। इस घटना पर कोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया है। यहां बात सिर्फ आरोप-प्रत्‍यारोपों की नहीं है। सवाल सिस्‍टम के बड़े फेलियर का है। क्‍या सिर्फ वीडियो वायरल होने के बाद सरकार के संज्ञान में कोई घटना आएगी? उसका तंत्र क्‍या कर रहा है? क्‍यों दो महीने तक कोई कार्रवाई नहीं हुई? क्‍या लोगों की निशानदेही नहीं की जा सकती थी? ऐसे कई बड़े सवाल हैं। घटना का वीडियो बहुत परेशान करने वाला है सभी समाज में रहने वाला व्यक्ति इस वीडियो को देखते ही गुस्से से लाल हो रहा हैं, इतिहास साक्षी है जब भी किसी आतातायी ने स्त्री का हरण किया है या चीरहरण किया है उसकी क़ीमत संपूर्ण मनुष्य ज़ाति को चुकानी पड़ी है। हमें स्मरण रखना चाहिए- स्त्री का शोषण, उसके ऊपर किया गया अत्याचार, उसका दमन, उसका अपमान.. आधी मानवता पर नहीं बल्कि पूरी मानवता पर एक कलंक की भाँति है।

यह भी पढ़ें:- आखिर पुरुषों को क्यों नहीं पसंद बीवी का नौकरी करना ? पढ़िए यह No-Job को लेकर स्पेशल स्टोरी।

एक समाज के रूप में क्या हम सचमुच मर गए हैं? एक पांचाली के चीरहरण से राजवंश नष्ट हो गए और यहाँ पार्टियों के पक्षकार अभी भी अपनी-अपनी दुकानों और मालिकों को जस्टिफ़ाई कर रहे हैं ? अब ‘लोकतंत्र’ के चार चरण विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका व पत्रकारिता को एक दूसरे के साथ लय से लय मिलाकर चलना होगा। तभी वे लोक को अमानुषिक कृत्यों के प्रलय के ताप से मुक्त कर पाएंगे। अब समय आ गया है जब सभी राजनीतिक दलों और राजनेताओं को, मीडिया हाउसेस व मीडिया कर्मियों को अपने मत-मतान्तरों, एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोपों को भूलकर राष्ट्र कल्याण, लोक कल्याण के लिए सामूहिक रूप से उद्यम करना होगा क्योंकि ये राष्ट्र सभी का है, सभी दल और दलपति देश और देशवासियों के रक्षण, पोषण, संवर्धन के लिए वचनबद्ध हैं।

-प्रियंका सौरभ, रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,

https://youtu.be/TuDWmGctY4M

By Javed

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

विक्रांत मैसी ने अपने फैंस को दिया झटका, छोड़ेंगे फिल्म इंडस्ट्री, जानिए क्यों ? एक्ट्रेस नरगिस फाखरी की बहन को पुलिस ने किया गिरफ्तार, वजह हैरान करने वाली कलयुग के 11 कड़वें सच.! जिसे आपको जरूर जानना चाहिए मुंबई की हसीना तारा ढिल्लों ने पाकिस्तानी अंकल से किया निकाह बॉलीवुड एक्ट्रेस तमन्ना भाटिया की बढ़ी मुश्किलें, एड के रडार पर एक्ट्रेस