एजेंट के धोखाधड़ी का शिकार होकर दुबई में फंसे देवरिया के दो युवकों की मंगलवार की रात को सकुशल वतन वापसी हो गई। अपने वतन वापस लौटने पर युवकों में ख़ुशी की लहार दौड़ पड़ी। दोनों युवकों ने दुबई में झेले गए दर्द को बयान करते हुए कहा कि विदेश जाने से अच्छा है अपने देश मे मजदूरी करना।

जनपद के तरकुलवा थानाक्षेत्र के ग्राम पंचायत हरैया निवासी शैलेष सिंह पुत्र मुंशी सिंह एवं घनश्याम शर्मा पुत्र मोतीचन्द शर्मा करीब एक महीने पहले कुशीनगर जिले के नेबुआ नौरंगिया के एजेंट मनोज सिंह पुत्र नरेश सिंह के झांसे में आ गए। एजेंट ने उन्हें दुबई के एक कंपनी में अच्छे सैलरी पर नौकरी दिलाने का झांसा देकर उनसे 80-80हजार रुपए ऐंठ लिया। फिर उसने दोनों युवकों का वीजा एवं पासपोर्ट जमा करा कर उन्हें दुबई भेज दिया। एयरपोर्ट से उन्हें अजमान शहर ले जाया गया।

जहाँ एक कमरे में उन्हें कैदियों की तरह रखा गया था। वहां करीब 70 लोग एजेंटों के झांसे में आकर फंसे हुए थे। वहां का एक एजेंट सात-आठ रोज बाद उन्हें शारजाहा के रंबल एरिया में एक वर्क शॉप में ले गया। दो-तीन महीने काम करने के बाद वेतन मिलने की बात कही। युवकों के मुताबिक उन्हें फंस जाने का शक हुआ और वे वहां से भागकर अजमान वापस लौट आए। जहां छोटे-छोटे कमरों में देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, मऊ, गाजीपुर, गोपालगंज आदि जिलों के युवकों को ठूस कर जानवरों की तरह रखा गया था। 24 घंटे में एक बार भोजन मिलता था।

प्यास लगने पर वहां से लगभग दो किमी. तक पैदल जाने पर एक बस अड्डे पर पानी मिलता था। युवकों ने भरे हुए गले से कहा कि अजमान के बगल में एक शीशे की कंपनी में लगा हाईफाई उनके लिए मददगार साबित हुआ। किसी तरह वहां पहुंचकर मोबाइल को उससे कनेक्ट करके अपना संदेश घर पहुंचाए। जिसकी ख़बर अखबारों में छपी। ख़बर को पढ़कर कुशीनगर जनपद के जंगलीपट्टी गांव का एक युवक उनके पास गया।

उसने उन्हें पॉकेट खर्च के लिए 300-300 रुपए दिया। रात भर भर अपने पास रखा। घर के लोगों ने यहां से टिकट का इंतजाम करके भेजा तो 18 अक्टूबर को घर वापसी के बाद युवकों ने कहा की अपने देश में मजदूरी करना मंजूर मगर अब कभी विदेश नहीं जाएंगे।

By Javed

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