Agneepath Scheme: प्रदर्शनकारी पूछ रहे हैं कि वे चार साल बाद क्या करेंगे? उन उम्मीदवारों का क्या होगा जिन्होंने दो साल से शारीरिक और चिकित्सा परीक्षा उत्तीर्ण की और लिखित परीक्षा की प्रतीक्षा कर रहे थे। यही 4 साल होते हैं जब बच्चे आगे पढ़कर करियर बनाते हैं, 4 साल बाद क्या करेंगे? सिक्योरिटी गार्ड, ग्रुप डी ? क्यूंकि पढ़ाई तो छोड़ चुके होंगे, वापिस आकर कितने पढ़ेंगे?
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अग्निपथ योजना को लेकर जगह-जगह हो रहे प्रदर्शन अब भारत के लगभग 15 राज्यों में पहुँच चुका है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये युवा अचानक हिंसक हो गए, नाराज युवाओं ने सीधे आग लगा दी, क्या गुस्से में युवाओं ने सीधे हिंसा का सहारा लिया या इसके पीछे कोई और कारण है। अगर फ़रवरी, मार्च, अप्रैल या मई में सरकार इनकी बात सुन लेती तो अग्निपथ स्किम के खिलाफ इतना हिंसा न भड़कता।
फ़रवरी के महीने में यूपी का चुनाव चल रहा था, गोंडा की रैली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सामने ही 2 साल से रुकी भर्ती का मुद्दा बेरोजगार युवाओं ने उठाया था तब कहीं कोई हिंसा नहीं हुई थी, युवा अपनी बात शांति से उठा रहे थे। रक्षा मंत्री ने तब भरोसा दिया था।
संवाद-
राजनाथ सिंह, रक्षामंत्री- शांत रहो…
राजनाथ सिंह, रक्षामंत्री- क्या बोल रहे हैं…?
किसी ने कहा- बोल रहे हैं सेना में भर्ती चालू हो…
राजनाथ सिंह, रक्षामंत्री- अच्छा अच्छा होगी… होगी…होगी… होगी… चिंता मत करो…, अरे भाई होगी सुन जाओ
राजनाथ सिंह ने फरवरी में जल्द सेना में भर्ती का भरोसा दिया लेकिन कुछ नहीं हुआ। उसके बाद मार्च का महीना आया उसमे बिहार के सिवान जिले में युवाओं ने जल्द भर्ती के मांग को लेकर रेल की पटरियों पर push-Up लगाया, तब भी इन्होने हिंसा नहीं की बल्कि लोकतान्त्रिक तरीके से अपनी मांग रखा।
उसके बाद अप्रैल का महीना आया तब भी युवा आग नहीं लगा रहे थे। सीकर एक युवा 50 घंटे में 350 किलोमीटर दौड़कर अपनी बात रखने के लिए दिल्ली तक आया था। हाथ में तिरंगा लिए पसीने से तर-बदर हुए ढीली तक दौड़ लगाकर सिर्फ इसलिए आया था की सरकार को 2 सालों बंद सेना भर्ती को शुरू करने का याद दिला सके, तब भी कोई पत्थर नहीं चलाया और ना ही आग लगाया तब किसी ने कुछ नहीं सुना।
फिर मई का महीना आया, मई के महीने में भी देश के कई हिस्सों में युवाओं ने तिरंगा यात्रा लेकर प्रदर्शन करते रहे, जल्द ही सेना भर्ती निकलनेकी मांग की लेकिन मई के महीने में भी शांति से की गई मांग को किसी ने नहीं सुना।
फिर जून का महीना आ गया, अचानक से स्थाई की जगह 4 साल वाली योजना ‘अग्निपथ योजना’ आ गई। 2 साल से स्थाई नौकरी की आशा देखने वाले युवा हताश हो गए। उसके बाद एक के बाद एक राज्यों में प्रदर्शन शुरू हो गया।