RBI MPC Meet: RBI ने शुक्रवार को अपनी ऋण दर यानी रेपो रेट (Repo Rate) को 6.5% पर सातवीं बार स्थिर रखा है। इस निर्णय को 5:1 बहुमत से बाइ-मंथली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक में लिया गया, जिसका अध्यक्ष RBI गवर्नर शक्तिकांत दास है। बता दें कि हर दो महीने में आरबीआई की एमपीसी बैठक (RBI MPC Meet 2024) होती है। इस बैठक में देश की महंगाई को ध्यान में रखते हुए रेपो रेट का फैसला लिया जाता है। चालू वित्त वर्ष की पहली बैठक 3 अप्रैल 2024 से शुरू हुई थी। आज इस बैठक के फैसलों का एलान किया गया। इस बार भी रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया गया।
विपुल भोवर, निदेशक, सूचीबद्ध निवेश, वॉटरफील्ड सलाहकार के मुताबिक, भारतीय रिज़र्व बैंक ने फिलहाल नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है। मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित है, हालांकि गिरावट की राह पर है, खाद्य कीमतों, तेल की कीमतों और मानसून को लेकर अनिश्चितता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आरबीआई दरों में कटौती की जल्दी में नहीं है, क्योंकि विकास बरकरार है।
आरबीआई का क्या रहा फैसला
इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। समिती ने रेपो रेट में बदलाव ना करने का फैसला लिया है। समिती में 5ः1 के बहुमत के साथ रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया गया है। लगातार सातवीं बार रेपो रेट को स्थिर रखा गया है। इसका मतलब ये है कि ऋण ब्याज दरें भी अब अपरिवर्तित रहेंगी। अप्रैल 2022 को RBI ने ब्याज दर की बढ़ात को रोक दिया गया था, जिसके बाद से मई 2022 तक 250 बेसिस पॉइंट की 6 बार की बढ़ोतरी की गई थी।
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शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी वृद्धि 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पहली तिमाही में यह 7.1 फीसदी, दूसरी तिमाही में 6.9 फीसदी और तीसरी-चौथी तिमाही में 7 प्रतिशत रह सकता है। वहीं, FY25 के लिए पहली और दूसरी तिमाही के सीपीआई में संशोधन किया। चालू वित्त वर्ष की Q1 में सीपीआई 4.9 प्रतिशत, Q2 में 3.8 प्रतिशत, Q3 में 4.6 प्रतिशत, Q4 में 4.5 प्रतिशत हो सकती है।
सीपीआई मुद्रास्फीति में 2% का मार्जिन
RBI गवर्नर ने कहा कि महंगाई नियंत्रण रखने के लिए ये निर्णय लिया गया है। साथ ही, मौजूदा वर्ष के लिए खुदरा महंगाई को 4.5% पर अनुमानित किया गया है। सरकार ने RBI को खुदरा महंगाई को 4% पर रखने का आदेश दिया है, जिसमें 2% की छूट है। महंगाई की मूल दर नियमित रूप से पिछले नौ महीनों से कम हो रही है, जबकि ईंधन घटक छह महीनों के लिए डिफ़्लेशन में रहा है। गवर्नर ने कहा कि मज़बूत विकास की संभावनाएँ नीति को महंगाई पर केंद्रित रखने के लिए जगह प्रदान करती हैं।
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