iPhone: भारत में पिछले कुछ सालों से आईफोन (iPhone) का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है। यूज़र्स की बढ़ती संख्या को देखते हुई एप्पल (Apple) ने बड़ा फैसला लिया है। भारत में आईफोन का क्रेज लगातार बढ़ता जा रहा है। जिसे ध्यान में रखते हुए एप्पल ने भारत में आईफोन के प्रॉडक्शन को डबल करने का फैसला लिया है।
चीन को लगा भारी झटका
वहीं, चीन में एप्पल के रेवेन्यू में बड़ी गिरावट देखी गई है। पहले चीन एप्पल का सबसे बड़ा आईफोन प्रॉडक्शन हब के साथ सबसे बड़ा बाजार हुआ करता था। एप्पल ने चीन में अपना दूसरा सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग प्लान भी खोला है, लेकिन हाल में चीन में एप्पल का रेवेन्यू घटने लगा है। हुआवेई टेक्नोलॉजीज कंपनी जैसे प्रतिद्वंद्वियों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा और चीन में विदेशी वर्कफोर्स को लेकर लगे प्रतिबंधों के चलते एप्पल के रेवेन्यू में बड़ी गिरावट देखने को मिली हैं। जिसकी वजह से एप्पल भारत की ओर रुख कर रहा है।
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ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, एप्पल ने भारत में अपने iPhone असेंबली को पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में दोगुना कर 14 बिलियन डॉलर कर दिया है, जो कि चीन से परे विविधता लाने के कदम का एक संकेत है। रिपोर्ट्स से पता चला है कि एप्पल के लगभग 14% फ्लैगशिप डिवाइस अब भारत में बनाए जाते हैं। अमेरिकी कंपनी एप्पल के आईफोन का बढ़ता प्रॉडक्शन चीनी कंपनियों पर भारतीय स्मार्टफोन मार्केट की निर्भरता को कम कर सकता है।
एप्पल के आने से 150000 नौकरियां
एप्पल के भारत आने से लोगों को काफी फायदा मिल सकता है। सरकार के एक रिपोर्ट के मुताबिक, एप्पल के आने से सप्लायर्स फील्ड में 1,50,000 डायरेक्ट नौकरियां पैदा होगी, जिससे भारत में बढ़ती बेरोजगारी पर भी थोड़ी लगाम लगेगी। वही, मार्च 2024 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष में फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप और पेगाट्रॉन कॉर्प ने भारत में निर्मित क्रमशः लगभग 67% और 17 % आईफोन असेंबल किए।
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