Target Killing: कश्मीर में कश्मीरी पंडितो के साथ हो रहे अत्याचार की वजह से खौफ का माहौल बना हुआ है। कश्मीति पंडितो और आम नागरिकों के साथ हो रहे अत्याचरों की वजह से एक बार फिर कश्मीरी पंडित पलायन करने पर मजबूर है। लोग अपना सामान पैक करके पलायन करने के लिए तैयार हैं। अनंतनाग के मट्टन में गुरुवार को आतंकी हमलों से डरे पंडित अपना सामान लेकर बनिहाल जाने की कोशिश में लग गए हैं।
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मिली जानकारी के मुताबिक मट्टन पंडित कॉलोनी के लोगों ने अनंतनाग कलेक्टर से बनिहाल जाने के लिए सुरक्षा की मांग की है। पंडितों ने बताया कि वे सामान पैक कर चुके हैं, लेकिन सुरक्षाबलों के जवान कैंप से बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं। घाटी में कश्मीरी पंडितों और आम नागरिकों के साथ लगातार हो रही वारदातों के बाद कश्मीरी पंडितों ने पलायन का अल्टीमेटम दिया था। कश्मीर में 19 दिन से पंडितों का प्रदर्शन चल रहा है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही हैं।
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कॉलोनियों में कश्मीरी पंडित चीख-चीख कर कह रहे हैं- ‘मास माइग्रेशन इज द ओन्ली सॉल्यूशन’ यानी थोक में पलायन ही एकमात्र समाधान है। जम्मू-कश्मीर में टारगेट किलिंग के बीच प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया हैं। प्रशासन ने हिंदू सरकारी कर्मचारियों का ट्रांसफर करने का फैसला किया है। हिंदू कर्मचारी लगातार मांग कर रहे थे कि उनका जम्मू में ट्रांसफर किया जाए, लेकिन फिलहाल प्रशासन ने उन्हें जिला मुख्यालय लाने की तैयारी की है।
23 दिन, 7 टारगेट किलिंग
जम्मू-कश्मीर में पिछले 23 दिनों में 6 टारगेट किलिंग का मामला सामने आया है। जिसमे 12 मई को बडगाम में राहुल भट्ट (सरकारी कर्मचारी), 13 मई को पुलवामा में रियाज अहमद ठाकोर (पुलिसकर्मी), 24 मई को सैफुल्लाह कादरी (कांस्टेबल), 25 मई को अमरीन भट्ट (टीवी आर्टिस्ट) और 31 मई को कुलगाम में रजनी बाला (टीचर), और 2 जून को कुलगाम में ही विजय कुमार (बैंक मैनेजर) की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी।
1990 में हुआ था कश्मीरी पंडितों का सबसे बड़ा पलायन
पकाओ बतादें कि 1990 में घाटी से कश्मीरी पंडितों का सबसे बड़ा पलायन हुआ था। गृह मंत्रालय के मुताबिक 1990 में 219 कश्मीरी पंडित हमले में मारे गए थे, जिसके बाद पंडितों का पलायन शुरू हुआ। एक अनुमान के मुताबिक 1 लाख 20 हजार कश्मीरी पंडितों ने घाटी से उस समय पलायन किया था। अब फिर 1990 जैसे पलायन का हालत बन रहा हैं, पंडितों ने फिर पलायन करने की चेतावनी दी हैं।