Uttar Pradesh, Politics, Mukhtar Ansari, Ansari Family, Political Influence, Controversies, Mafia Mukhtar Ansari, UP Politics, Mukhtar Ansari, Uttar Pradesh politics, political changes, Ansari family influence, Indian politics, UP elections, criminal politicians, political dynasties, vote bank politics political power shifts,

Mukhtar Ansari: माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की कहानी किसी से छिपी नहीं है। यूपी में मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) वो नाम है, जो गाजीपुर से लगातार छह बार विधायक चुने गए। उसका प्रभाव केवल गाजीपुर में ही नहीं पूर्वांचल के कई इलाकों तक फैला हुआ था। पूर्वाचल के मुसलमानों पर अंसारी की गहरी पकड़ थी, लेकिन अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह मुख्तार अंसारी को राजनीतिक दलों का ऐसा सरक्षण हासिल था कि जब 2004 में मुख्तार असारी से लाइट मशीन गन बरामद की गई। तो तक्कालीन मुलायम सिंह सरकार हिल गई। कुछ ऐसा था मुख्तार अंसारी के कहानी का ट्रेलर।

यह भी पढ़े: Bihar: क्या लालू प्रसाद यादव दोबारा जायेंगे जेल, जानिए क्या है पूरा मामला

अंसारी के परिवार की गहरी पकड़

सियासी गलियारों में पकड़ की बात करें तो गाजीपुर, मऊ औऱ आजमगढ़ सहित पूर्वांचल के कुछ जिलों तक अंसारी का दबदबा था। हालांकि जानकारों का माना है कि यह परिवार पूरे प्रदेश के तमाम जिलों से किसी न किसी तरह से पुरानी पकड़ रखे है। मुख्तार के दादा कांग्रेस के अध्यक्ष थे और पिता कम्युनिट के नेता तो वहीं मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी ने सियासी पारी की शुरुआत कम्युनिस्ट पार्टी से की और मुसलमानों के साथ ही उन्होंने पिछड़े, दलितों के लिए भी काम किया।

दादा से चलते आ रहा सियासती तजुर्बा

मुख्तार के दादा की बात करें तो, मुख्तार अहमद अंसारी आजादी की लड़ाई में आगे थे। 1927 के मद्रास अधिवेशन में उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया गया था। इतना ही नहीं, उनकी गिनती महात्मा गांधी के बेहद करीबी लोगों में होती थी। 1936 में उनका निधन हो गया। दादा की विरासत को अंसारी के पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी ने आगे बढ़ाया। हालांकि, वे कांग्रेस के बदले कम्युनिष्ट धारा से जुड़कर राजनीति शुरू कर दी। सुब्हानउल्लाह के रास्ते पर ही चलकर अफजाल ने राजनीति में एंट्री ली। अफजाल 1985 में मोहम्मदाबाद सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। बाद में मुख्तार और सिगबतुल्लाह अंसारी भी राजनीति में आए। मुख्तार के चाचा हामिद अंसारी देश के उप-राष्ट्रपति रह चुके हैं। इसके अलावा, मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी भी सेना के ब्रिगेडियर थे, जिन्हें सेना का सर्वोच्च सम्मान में से एक महावीर चक्र मिला था।

यह भी पढ़े: LS Chunav 2024: प्रत्याशियों को करना होगा इन नियम का पालन, 10 गाड़ियां के अलावा बाकी गाड़ियों में 200 फासला

अंसारी से अब तक

मुख्तार अंसारी- 30 जून 1963 को जन्मे, मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई दशकों से दहशत का दबदबा बनाये हुए था। वह उत्तर प्रदेश विधान सभा में माउं निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे थे। अंसारी ने अपने करियर के दौरान कई राजनीतिक पार्टियों से जुड़ा रहा है, जिसमें बसपा और क्वामी एकता दल शामिल हैं। उन पर हत्या और उत्पीड़न जैसे कई अपराधिक आरोप लगाए गए हैं, जो अक्सर उन्हें कानूनी मुद्दों में फंसा देते हैं।

अफजाल अंसारी- अफजल अंसारी एक और मुख्तार अंसारी का भाई है जो भारतीय राजनीतिक मंच में प्रमुख व्यक्तित्व हैं। उन्होंने भारतीय संसद में गाजीपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। अफजल अंसारी ने समाजवादी पार्टी (एसपी), बसपा, और इंडियन नेशनल कांग्रेस (आईएनसी) के साथ अलग-अलग समयों पर जुड़ा रहा है। गैंगस्टर केस में सजा मिलने के बाद सांसदी की सदस्यता रद्द हो चुकी है। अभी एक केस में जेल में बंद हैं। राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट गए हैं।

यह भी पढ़े: Agra Molestation: पति को पास न देख की अमेरिकी महिला के साथ छेड़छाड़, ऐसे गाइड से शर्मसार भारत

अब्बास अंसारी- मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ से विधायक अब्बास अभी जेल में बंद हैं। उन पर हेट स्पीच का मामला दर्ज है। जेल नियमों का उल्लंघन करने का केस भी उन पर दर्ज है।

सुहैब अंसारी- मुख्तार के भतीजे सुहैब अभी मोहम्मदाबाद सीट से विधायक हैं। सुहैब वर्तमान में समाजवादी पार्टी के सदस्य हैं। 2022 में सपा ने ही उन्हें मोहम्मदाबाद से टिकट दिया था। 

सिबगतुल्लाह अंसारी: मुख्तार अंसारी के बड़े भाई, सिबगतुल्लाह अंसारी, भी राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने गाजीपुर जिले के मुहम्मदाबाद निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़े हैं। सिबगतुल्लाह ने विभिन्न समयों पर समाजवादी पार्टी (एसपी) और बसपा के साथ जुड़ा रहा है।

यह भी पढ़े: Agra: तीन बच्चो के बाद पति चाहता था एक और बेटा, पत्नी ने उठाया ये कदम

मुख्तार अंसारी पर कई मामले दर्ज होने के बाद भी सितासत जस की तस कायम रही। समय-समय पर जेल के भीतर से ही राजनीति करने का आरोप लगाता रहा है। मुख्तार की मौत के बाद अंसारी परिवार को लेकर भी लोगों में सहानुभूति बढ़ गई है, जिससे चुनाव में फायदा मिलना तय माना जा रहा है। वहीं, विपक्ष की ओर से परिवार वालों को अपनी तरफ करने की तैयारी में जुटी हुई है। आगे हो भी क्यों ना मुस्लिम वोटर बैंक जो है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हरियाणा कांग्रेस का किया संकल्प पत्र जारी, 7 वादे करेंगे पूरे पति से तलाक के बाद बेटी की परवरिश के लिए दर-दर भटक रही ये एक्ट्रेस गोविंदा की भांजी आरती सिंह का शादी के 4 महीने बाद होगा तलाक ? डार्क सर्कल को करें बाय, बस अपनाएं ये घरेलु उपाय अपनी बोल्ड लुक की वजह से बदनाम है ये मुस्लिम एक्ट्रेस, क्रिश्चियन से की शादी