Rishabh Pant: भारतीय स्टार क्रिकेटर और विकेटेर कीपर ऋषभ पंत के कार का शुक्रवार की सुबह एक्सीडेंट हो गया। जिसमे पंत पूरी तरह घायल हो गए। ऋषभ पंत के कार का जैसे ही एक्सीडेंट हुआ कुछ देर बाद कार में भीषड़ आग लग गई। इस घटना के बाद ऋषभ पंत ने गाड़ी का शीशा तोड़कर बाहर निकले जिससे उनकी जान बच गई। बताया जा रहा है कि पंत ने सीट बेल्ट नहीं लगाया हुआ था जिसकी वजह से उनकी जान बच सकी वर्ना बहुत बड़ा हादसा हो सकता था।
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इतना बड़ा हादसा होने के बाद पंत सही सलामत बच गए इसके पीछे किसका हाथ है ये किसी को नहीं पता। पंत की जान बचने वाले का नाम जानने के बाद हर कोई उस व्यक्ति की लम्बी उम्र कि दुआ करेगा। दरअसल ऋषभ पंत के लिए वो फरिस्ता कोई और नहीं बलि हरियाणा रोडवेज का एक बस ड्राइवर है जो सुबह के वक्त उसी रास्ते से गुजर रहा था जिस हाईवे पर ऋषभ पंत का एक्सीडेंट हुआ था।
तो आइये जानते हैं हरियाणा रोडवेज पानीपत डिपो के उस जांबाज ड्राइवर सुशील कुमार और उसके साथी की जुबानी जिसने ने बचाई क्रिकेटर ऋषभ पंत की जान।
पढ़िए पूरा मामला क्या था ? ड्राइवर सुशील की जुबानी-
हम हरिद्वार से आ रहे थे, मैं हरियाणा रोडवेज में बस ड्राइवर हूं। हम 4.25 मिनट पर हरिद्वार से चले थे, जैसे ही हम नारसन के पास पहुंचे 200 मीटर पहले मैंने देखा दिल्ली की तरफ से एक कार 60-70 की स्पीड में आई। वो डिवाइडर से टकराकर पलटती हुई हरिद्वार साइड में आ गई। मैंने सोचा अब तो ये हमारी बस से टकराएगी और हमें कोई बचा नहीं सकता।
हम मरेंगे. मेरे पास 50 मीटर का फासला था तभी मैंने सर्विस लेन से निकालकर फर्स्ट लाइन में बस डाल दी। वो गाड़ी दूसरी लाइन में निकल गई, गाड़ी के शीशे टूट गए थे, मैंने तुरंत ब्रेक लगाए और खिड़की से कूदकर भागा। मैंने देखा वो व्यक्ति कार से आधा बाहर था। मैंने उसका हाथ पकड़ रखा था, तभी कंडक्टर भी साथ आ गया, हमने उसे बाहर लिटा दिया. हमें लगा उसकी मौत हो चुकी है। मैंने देखा कार में आग लगनी शुरू हो गई थी, मैं कार की तरफ गया और देखने लगा कि कोई और तो नहीं है।
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मैंने उनसे पूछा भाई साहब कार के अंदर कोई और भी व्यक्ति है। उन्होंने कहा कि मैं अकेला ही था। बाद में उन्होंने बताया कि मैं ऋषभ पंत हूं, क्योंकि मैं क्रिकेट का शौकीन नहीं हूं तो ज्यादा जानता नहीं, लेकिन कंडक्टर ने कहा कि ये भारतीय क्रिकेटर है। हमने उसे साइड में डिवाइडर पर लिटाया. उसके तन पर कपड़े नहीं थे।हमने अपने एक यात्री से लेकर उसे चादर दी, उन्होंने बाद में कहा कि मेरे पैसे हैं कार में, हमने आसपास रोड पर जितने भी पैसे बिखरे थे उन्हें सात-आठ हजार रुपये इकट्ठा करके उनके हाथ में दे दिए।
तब वो एंबुलेंस में बैठे थे, कंडक्टर ने एंबुलेंस को फोन कर दिया था, मैंने पुलिस को और नेशनल हाईवे को फोन किया था. नेशनल हाईवे से कोई जवाब नहीं आया. एंबुलेंस आ गई थी 15 मिनट बाद. उसके पूरे चेहरे पर खून था। हड़बड़ाए हुए थे। कमर छिली हुई थी। पैर से लंगड़ा रहे थे। आज हरियाणा रोडवेज के स्टॉफ ने एक आदमी की जान बचा कर मानवता का परिचय दिया,