Trade 2025: ब्रिटेन की सरकार ने रूस से जुड़े व्यापारिक और एनर्जीसंबंधों को लक्षित करते हुए नायरा एनर्जी लिमिटेड एवं रूस की प्रमुख तेल कंपनियों पर नए आर्थिक प्रतिबंध (sanctions) लगाने की घोषणा की है। यह कदम रूस की ऊर्जा स्रोतों से राजस्व प्रवाह को नियंत्रित करने की वैश्विक कोशिशों के हिस्से में लिया गया है।
प्रतिबंधों का स्वरूप और कारण
ब्रिटेन ने अब तक 90 से अधिक नये प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है, जिनमें रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियाँ Rosneft और Lukoil — शामिल हैं।
इसके अलावा, 44 “shadow fleet” टैंकरों को भी निशाना बनाया गया है, जो अक्सर रूस के कच्चे तेल को वैश्विक बाजारों में भेजने में गुमनाम मार्ग (sanction-evading routes) उपयोग करते हैं।
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भारत की नायरा एनर्जी लिमिटेड को भी इस सूची में शामिल किया गया है। ब्रिटेन का तर्क है कि नायरा ने रूस से बड़ी मात्रा में तेल आयात किया है, जिससे रूस को युद्ध में वित्तीय समर्थन मिल रहा है।
ब्रिटेन का बयान कहता है कि ये प्रतिबंध उन कंपनियों पर लगाए गए हैं, “जो रूस के ऊर्जा सेक्टर को समर्थन देने और फंडिंग करने का आरोप है।”
नायरा एनर्जी की भूमिका और विवादित आंकड़े
- नायरा एनर्जी भारत की एक बड़ी निजी रिफाइनरी है और इसकी गुजरात के वडिनार में रिफाइनरी फैक्टरी है।
- रूस की कंपनी Rosneft का लगभग 49.13% हिस्सेदारी नायरा में बताई जाती है।
- ब्रिटेन का दावा है कि नायरा ने 2024 में रूस से 100 मिलियन बैरल से अधिक तेल का आयात किया, जिसकी कीमत लगभग 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।
- इस गतिविधि को लंदन ने यह कह कर निशाना बनाया कि इससे रूस को अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में पैसा मिलता रहा, जिसका उपयोग वह युद्ध आपूर्ति और सैन्य उपयोग के लिए कर रहा है।
भारत और नायरा की प्रतिक्रिया
नायरा एनर्जी ने स्पष्ट किया है कि वह पूरी तरह से भारतीय कानूनों और विनियमों का पालन करती है। कंपनी ने कहा है कि ये प्रतिबंध “भारत की संप्रभुता का उल्लंघन” हैं।
भारत सरकार की ओर से प्रतिक्रिया अभी तक औपचारिक रूप से कम सामने आई है, लेकिन पिछले प्रतिबंधों पर भारत ने “एकतरफा कार्रवाई” जैसे कदमों की आलोचना की थी।
पहले यूरोपीय संघ (EU) ने जुलाई 2025 में नायरा एनर्जी पर प्रतिबंध लगाए थे — उन प्रतिबंधों के कारण नायरा की अंतरराष्ट्रीय व्यापार, बैंकिंग और बीमा सेवाओं पर असर हुआ।
इसके बाद नायरा को भारत के घरेलू बाजार पर अधिक निर्भर होना पड़ा है और वह अपनी रिफाइनरी क्षमता को कम कर रही है, क्योंकि कई बाहरी (non-Russian) कच्चे तेल स्रोतों तक पहुंच सीमित हो गई है।
बैंकिंग और वित्तीय सेवाएँ
प्रतिबंधों के कारण नायरा को अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग और बीमा सेवाओं के उपयोग में कठिनाइयाँ आ सकती हैं। कई बैंक या बीमा कंपनियाँ रूस-संलग्न कंपनियों को सेवाएँ देना बंद कर सकती हैं।
रिफाइनरी संचालन में कमी
नायरा को अपनी रिफाइनरी की कार्यक्षमता को घटाना पड़ा है — उदाहरण के लिए, EU प्रतिबंधों के बाद इसकी रिफाइनरी की उपयोग दर 70–80% तक आ गई (पहले यह 100% से अधिक थी)। नायरा अब यूरोपीय देशो में बिक्री नहीं कर सकती और अपने उत्पादों को घरेलू बाजार में बेचने को मजबूर है।
परिवहन एवं वितरण चुनौतियाँ
टैंकर, शिपिंग, ट्रांसपोर्ट नेटवर्क पर प्रतिबंधों और बीमा बाधाओं के कारण नायरा को वैकल्पिक मार्गों पर निर्भर होना पड़ रहा है।
राजनयिक दबाव एवं भारत-ब्रिटेन संबंध
यह कदम ब्रिटेन की विदेश नीति और भारत के साथ उसके रिश्तों में नया तनाव पैदा कर सकता है। ब्रिटेन ने कहा है कि वह “तीसरे देशों” (India, China आदि) की उन कंपनियों पर भी दबाव बढ़ाएगा जो रूस के तेल व्यापार को सुगम बनाती हैं।
यह प्रतिबंध उसी समय लगे हैं जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर हाल ही में मुंबई की यात्रा पर आए थे और भारत के व्यावसायिक समुदाय से संवाद किया था। इस पृष्ठभूमि में यह कदम भारत के लिए आश्चर्यवश हो सकता है।
ब्रिटेन ने यह स्पष्ट किया है कि उनका उद्देश्य युद्ध फंडिंग को रोकना है — न कि केवल रूस को आर्थिक रूप से बाधित करना।
इस तरह के प्रतिबंधों को “संयुक्त पश्चिमी प्रयास” का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें यूरोपीय संघ और अमेरिका भी शामिल हैं।
विशेषज्ञ यह कह रहे हैं कि यदि आगे और देशों की कंपनियाँ लक्ष्य बनें, तो यह वैश्विक ऊर्जा व्यापार पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
ब्रिटेन द्वारा नायरा एनर्जी सहित रूस-सम्बद्ध कंपनियों पर लगाए गए ये प्रतिबंध एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक और आर्थिक कदम हैं। यह दिखाता है कि कैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा, व्यापार और विदेशी नीति एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
भारत और नायरा दोनों पर अब दबाव बढ़ेगा — नायरा को अपनी परिचालन रणनीति बदलनी होगी और भारत को अपनी विदेश नीति और ऊर्जा सुरक्षा हितों के बीच संतुलन साधना होगा।
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