SC On Delhi Ordinance: केंद्र द्वारा लाए गए दिल्ली अध्यादेश (Delhi Ordinance) के मामले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) संविधान पीठ के पास भेज सकता है। कोर्ट ने संकेत दिए है कि वह नौकरशाहों पर नियंत्रण से संबंधित इस अध्यादेश को 5 जजों की पीठ को सौंप सकता है।
बता दें कि केंद्र द्वारा जारी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश 2023 की संवैधानिक वैधता को दिल्ली सरकार ने चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 20 जुलाई के लिए टाल दी है।
दिल्ली सरकार की एक और याचिका पर हुई सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. की पीठ चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा अध्यादेश के साथ-साथ दिल्ली सरकार द्वारा नियुक्त 400 से अधिक सलाहकारों को बर्खास्त करने के एलजी के फैसले के खिलाफ अंतरिम रोक लगाने की दिल्ली सरकार की प्रार्थना पर सुनवाई कर रहे थे।
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तुषार मेहता ने दी ये दलील
शुरुआत में, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से सुनवाई टालने का अनुरोध किया और कहा कि अध्यादेश के रूप में दलीलें संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश की जाएंगी। उन्होंने कहा कि यह संभव है कि संसदीय प्रक्रिया के बाद अध्यादेश को एक अलग रूप में पारित किया जाए।
सिंघवी ने की स्थगन की अपील
सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ के मामले को पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेजने के संकेत के बाद दिल्ली की आप सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने स्थगन का अनुरोध किया।
20 जुलाई को बड़ी पीठ को मामला भेजने पर होगी चर्चा
अदालत ने कहा कि वह बड़ी पीठ को भेजे जाने के सवाल पर 20 जुलाई को दलीलें सुनना जारी रखेगी। दिल्ली के उपराज्यपाल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने तर्क दिया कि संविधान पीठ का संदर्भ आवश्यक है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले कभी संसद की क्षमता के खिलाफ नहीं रहे।