Arshad Nadeem

Arshad Nadeem: पाकिस्तान के जैवलिन थ्रोअर अरशद नदीम (Arshad Nadeem) ने हाल ही में पेरिस ओलंपिक में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम गौरवान्वित किया है। यह पाकिस्तान के लिए किसी भी एथलेटिक्स इवेंट में पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक है। बता दें कि पाकिस्तान के अरशद नदीम (Arshad Nadeem) ने नदीम ने अपने दूसरे थ्रो में 92.97 मीटर की शानदार थ्रो के साथ ओलंपिक रिकॉर्ड तोड़ते हुए सबको चौंका दिया। ग्रेनेडा के एंडरसन पीटर्स ने 88.54 मीटर की थ्रो के साथ तीसरा स्थान प्राप्त किया।    

कौन है अरशद नदीम? 

अरशद का जन्म 2 जनवरी 1997 को पाकिस्तान के पंजाब राज्य के एक छोटे से गांव में हुआ। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति संघर्षपूर्ण रही। उनके पिता, मुहम्मद अशरफ, एक रिटायर्ड कंस्ट्रक्शन वर्कर थे और परिवार का भरण-पोषण उन्हीं के कंधों पर था। जानकारी के अनुसार, अरशद ने अपने बड़े भाई को ट्रैक और फील्ड इवेंट्स में हिस्सा लेते देखा और खेलों में रुचि ली। उन्होंने फुटबॉल, हॉकी, बैडमिंटन, कबड्डी और क्रिकेट जैसे खेलों में भी हाथ आजमाया था लेकिन सफलता उन्हें ट्रैक एंड फील्ड में मिली। पेरिस में 26 जुलाई को ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में, अरशद नदीम हमवतन तैराक जहानारा नबी के साथ ध्वजवाहक थे। 

कैसे हुई करियर शुरूआत

अरशद नदीम ने अपने करियर की शुरुआत पाकिस्तान में की और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा से जल्द ही ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की और रिकॉर्ड स्थापित किए। अरशद नदीम नियमित रूप से कठोर प्रशिक्षण करते हैं, जिसमें शारीरिक फिटनेस और जैवलिन थ्रो की तकनीकी सुधार शामिल हैं। उनके प्रशिक्षण से उनकी प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति मजबूत रहती है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और अपने खेल करियर में और उपलब्धियाँ हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

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ऐसा था Nadeem का करियर

पाकिस्तान के अरशद नदीम ने टोक्यो 2020 ओलंपिक्स में पुरुषों के जैवलिन थ्रो इवेंट में 86.62 मीटर दूर भाला फेंककर पांचवां स्थान हासिल किया। इससे पहले नदीम का करियर बेस्ट थ्रो 90.18 मीटर था, जिसने उन्हें 90 मीटर का आंकड़ा पार करने वाले वह पहले एशियाई बने।

साल 2015 में नदीम ने भाला फेंक इवेंट में हिस्सा लेना शुरू किया था और बेहद ही कम समय में उन्होंने अपनी छाप छोड़ दी। साल 2016 में उन्होंने गुवाहाटी में भारत में साउथ एशियन गेम्स में 78.33 मीटर की राष्ट्रीय रिकॉर्ड थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता।

इसके बाद नदीम ने 2019 की वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप्स, दोहा, कतर में अपनी काबिलियत का लोहा मानवाया। एक स्कूल के बच्चे से लेकर आज ओलंपिक चैंपियन बनने तक कि नदीम की कहानी ये साबित करती है कि मेहनत और समपर्ण से कोई कुछ भी हासिल कर सकता है।

पकिस्तान का इंतजार खत्म

अरशद ने सिर्फ ओलंपिक रिकॉर्ड ही नहीं तोड़ा बल्कि एशियन रिकॉर्ड भी तहस-नहस कर दिया। उनसे पहले सिर्फ ताइवान के चाओ त्सुन चेंग ने 91.36 मीटर का थ्रो किया था। उन्होंने अक्टूबर 1993 में ये रिकॉर्ड बनाया था। अब 31 साल बाद अरशद नदीम ने उनका रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया। इतना ही नहीं, अरशद ने पिछले 32 सालों से चला आ रहा ओलंपिक मेडल का पाकिस्तान का इंतजार भी खत्म कर दिया। इससे पहले पाकिस्तान को 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में हॉकी का ब्रॉन्ज मेडल मिला था।

ओलंपिक सफलता

टोक्यो 2020 ओलंपिक में अरशद नदीम की जीत ने पाकिस्तान को एथलेटिक्स के क्षेत्र में एक नई पहचान दी। यह स्वर्ण पदक उनकी कठिन मेहनत और समर्पण का प्रतीक है और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतिस्पर्धा में बढ़ती उपस्थिति को दर्शाता है।

अरशद नदीम अपनी खेल उपलब्धियों के लिए पाकिस्तान में व्यापक प्रशंसा प्राप्त कर चुके हैं। उनके सफलता ने नई पीढ़ी के खिलाड़ियों को प्रेरित किया है और देश में एथलेटिक्स के विकास को बढ़ावा दिया है

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