Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा रुकने का नाम नही ले रही। वही सुरक्षाबलों और मैतेई समुदाय के बीच पिछले 24 घंटे से झड़प जारी है। इस दौरान तीन लोगों की मौत हो गई। ये हिंसक झड़प टेराखोंगसांगबी कांगवे और थोरबुंग में हुई हैं। यह इलाका कुकी-मैतेई के बीच का बॉर्डर है, जो बफर जोन कहलाता है।
हिंसा में मारे गए लोगों की पहचान युमनम जितेन मैतेई (46), युमनम पिशाक मैतेई (67) और युमनम प्रेमकुमार मैतेई (39) के रूप में की गई है, जो सभी क्वाक्टा लामल्हाई के रहने वाले हैं।
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दरसअल हमलावर बफर जोन क्रॉस करने की कोशिश कर रहे थे। सुरक्षाबलों द्वारा रोके जाने पर मैतेई समुदाय और सुरक्षाबलों के बीच झड़प हो गई। इस दौरान फायरिंग भी की गई। सुरक्षाबलों को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी।
पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे
तीन दिन पहले मैतेई महिलाओं (मीरा पाइबीज) और सुरक्षाबलों के बीच झड़प हुई थी, तब सुरक्षाबलों ने महिलाओं को हटाने के लिए स्मोक बॉम्ब और टियर शेल्स छोड़े थे और हवाई फायरिंग की थी।
जानकारी के मुताबिक महिलाओं के पीछे हटने के बाद सैंकड़ों हथियार बंद लोगों ने मोर्चा संभाल लिया था और आशंका जताई जा रही थी कि सुरक्षाबलों और हथियारबंद लोगों के बीच गन फाइट हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक हाल में हुई मौतें इसी गनफाइट का नतीजा हैं। Manipur Violence
इंफाल वेस्ट में एक पुलिसकर्मी की मौत
इंफाल वेस्ट पर उग्रवादियों की गोली लगने से एक पुलिसकर्मी ऋषि की मौत हो गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, पहाड़ी इलाके से एक स्नाइपर ने निशाना लगाकर पुलिसकर्मी के सिर में गोली मारी थी।
भीड़ ने लूटे 20 हजार से ज्यादा कारतूस
बीते 3 अगस्त को मणिपुर में भीड़ ने दो थानों पर हमला कर दिया था। भीड़ ने मोइरंग थाने पर हमला कर 685 हथियार और लगभग 20 हजार से ज्यादा कारतूस लूट लिए।
लूटे गए हथियारों में AK-47, इंसास राइफल्स, हैंड गन, मोर्टार, कार्बाइन, हैंडग्रेनेड और बम शामिल हैं। भीड़ ने बिष्णुपुर के ही नारानसेना थाने पर भी हमला किया, लेकिन यहां से लूटे गए हथियारों का ब्योरा जारी नहीं हुआ है।
मणिपुर में अब तक 4,000 हथियार और एक लाख से अधिक कारतूस विभिन्न पुलिस थानों से लूटे जा चुके हैं, 1,600 हथियार ही वापस हुए है।
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कुकी महिलाओं ने जवानों के पैर पकड़े, न जाने की गुहार लगाई
मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी है। इस बीच कुकी समुदाय का एक वीडियो सामने आया जिसमें कंग्पोक्पी जिले से असम राइफल्स को हटाने पर कुकी महिलाओं ने जवानों के पैर पकड़ लिए। महिलाओं की गुहार थी कि आप चले गए तो हम मारे जाएंगे। प्रशासन ने असम राइफल्स को हटाने का आदेश निरस्त कर दिया गया।
कर्नाटक में मणिपुर हिंसा के विरोध में प्रदर्शन शुक्रवार को बेंगलुरु में मणिपुर हिंसा और महिलाओं पर हुए अत्याचार की निंदा करते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ बेंगलुरु में मोमबत्ती जलाकर विरोध प्रदर्शन किया गया।
1000 से ज्यादा लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया
मणिपुर के पहाड़ी और घाटी दोनों जिलों में कुल 129 चौकियां बनाई गई हैं। पुलिस ने कहा कि हिंसा के अलग-अलग मामलों में 1,047 लोगों को हिरासत में लिया गया है। Manipur Violence
जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी का युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। Manipur Violence
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सियासी समीकरण: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
‘मेरे पति को मार दिया। बेटे को मार दिया। बेटी के कपड़े उतारकर घुमाया, उसे पीटा और गैंगरेप किया। आज तक न तो CM, न ही किसी मंत्री का फोन आया।’ ये कहते हुए मणिपुर में निर्वस्त्र घुमाई गई पीड़िता की मां जोर-जोर से रोने लगती हैं। करीब आधे घंटे तक लगातार रोती जाती हैं।
हम पुलिस की गाड़ी में थे। लगा था, वो हमें बचा लेंगे। मैतेई लड़कों की भीड़ ने गाड़ी को घेर लिया। हमें उतारकर इधर-उधर छूने लगे। उन्होंने कहा- जिंदा रहना है, तो कपड़े उतारो। हमने मदद के लिए पुलिसवालों की तरफ देखा, उन्होंने मुंह फेर लिया। फिर हमने कपड़े उतार दिए….’। ये कहना है मणिपुर में निर्वस्त्र की गई 21 साल की पीड़ित का
मणिपुर में हिंसा शुरू हुए ढाई महीने से ज्यादा हो चुके हैं। जल चुके 120 से ज्यादा गांव, 3,500 घर, 220 चर्च और 15 मंदिर हिंसा की निशानी के तौर पर खड़े हैं। इस तबाही में खाली स्कूल और खेत भी जुड़ चुके हैं। अब स्कूलों के खुलने का वक्त है और खेतों में बुआई का है। Manipur Violence